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व्रत त्यौहार

Aghan Amavasya 2024: मनाई जा रही अगहन की अमावस्या… कल पितरों को याद किया, आज देव पूजन और दान पुण्य

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अगहन माह में अमावस्या को लेकर दुविधा की स्थिति रही। कुछ लोगों ने शनिवार को अमावस्या मनाई जबकि कुछ लोग रविवार को मना रहे हैं। सनातन धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। रविवार को मंदिरों में विशेष पूजा अनुष्ठान हो रहे हैं।

By Arvind Dubey

Publish Date: Sun, 01 Dec 2024 10:02:28 AM (IST)

Updated Date: Sun, 01 Dec 2024 03:04:45 PM (IST)

Aghan Amavasya 2024: मनाई जा रही अगहन की अमावस्या… कल पितरों को याद किया, आज देव पूजन और दान पुण्य

HighLights

  1. शनिचरी अमावस्या को लेकर रही भ्रम की स्थिति
  2. शनिवार को सुबह 11 बजे तक चतुर्दशी तिथि रही
  3. इसके बाद ही अमावस्या तिथि का स्पर्श हुआ

धर्म डेस्क, इंदौर (Aghan Amavasya 2024)। अगहन मास की अमावस्या शनिवार से शुरू हुई है। श्रद्धालुओं ने पितरों का स्मरण किया और साढ़े साती व ढैय्या से पीड़ित जातकों ने शनिदेव का सरसों के तेल से अभिषेक किया। दूसरे दिन रविवार को स्नान व दान पुण्य किये जाने का महत्व है।

इससे पहले शनिवार को प्रमुख मंदिरों में अमावस्या का पर्व मनाते हुए भगवान का विशेष श्रृंगार कर भोग अर्पित किया। शनिवार को अमावस्या 9 बजकर 30 मिनट से शुरू हुई है, जो रविवार दोपहर 11 बजे तक रहेगी।

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दान का विशेष महत्व

  • शनिवार को पितृ दोष से पीड़ित जातकों ने पितरों को प्रसन्न करने के लिए ब्राह्मण को भोजन कराने के साथ ही पिंड दान किया। दूसरे दिन रविवार को अमावस्या 11 बजे तक होने के कारण स्नान का महत्व है।
  • अगर पवित्र सरोवरों में स्नान करने के लिए नहीं जा सकते हैं, तो घर में ही गंगाजल डालकर पवित्र नदियों गंगा, यमुना, नर्मदा सहित अन्य नदियों का स्मरण करते हुए स्नान करने का फल प्राप्त कर सकते हैं।
  • अमावस्या के दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। इसलिए शीत ऋतु में गरम कपड़ों का दान कर सकते हैं। इसके अलावा अन्न दान का भी विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है।

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ईसाई समुदाय में आज से क्रिसमस का उल्लास

ईसाई परिवारों में रविवार से क्रिसमस की शुरुआत होगी। चर्चों में पर्व का प्रतीक सितारा लगाया जाएगा। 25 दिसंबर को प्रभु यीशु के जन्म तक चर्च व ईसाई परिवारों में विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे।

फादर सोहनी ने बताया कि ईसाई परिवारों में 1 दिसंबर से क्रिसमस महापर्व की शुरुआत हो जाती है। 24 दिसंबर को मध्य रात्रि 12 प्रभु यीशु का जन्म होने वाला है, इसके प्रतीक रूप में चर्च के बाहर सितारा लगाया जाता है। प्रभु जन्म से पहले आत्म शुद्धि के लिए 1 दिसंबर से 24 दिवसीय उपवास की शुरुआत हो जाती है। समाजजन प्रभु की विशेष आराधना व प्रार्थना करते हैं।

17 दिसंबर से प्रभु यीशु के जन्म की खुशी में केरोल गीत गाए जाएंगे। केरोल परियां शहर में रहने वाले विभिन्न समाजजनों के घर जाकर केरोल गाएंगी। 24 दिसंबर को रात 11:30 बजे विशेष प्रार्थना सभा होगी। मध्य रात्रि 12 बजे प्रभु यीशु का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। परिसर में पवित्र अग्नि प्रज्वलित की जाएगी।

जमकर आतिशबाजी होगी। 25 दिसंबर को सुबह 8 बजे विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन होगा। प्रभु की आराधना के लिए दिनभर चर्च खुला रहेगा। 31 दिसंबर को विशेष प्रार्थना सभा तथा नए साल के शुभ आशीष के लिए प्रार्थना होगी।



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व्रत त्यौहार

Makar Sankranti 2025: सूर्य के उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को, सुबह 7 बजकर 59 मिनट पर मकर राशि में होगा प्रवेश

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ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार, सूर्य की मकर संक्रांति को शुभ माना जाता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण की ओर गमन करने लगते हैं। यह समय सकारात्मकता, धर्म, कर्म तथा मांगलिक कार्यों के लिए विशेष शुभ माना जाता है।

By Arvind Dubey

Publish Date: Tue, 17 Dec 2024 12:56:30 PM (IST)

Updated Date: Tue, 17 Dec 2024 01:02:37 PM (IST)

Makar Sankranti 2025: सूर्य के उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को, सुबह 7 बजकर 59 मिनट पर मकर राशि में होगा प्रवेश
मकर संक्रांति से मांगलिक कार्य आरंभ होंगे।

HighLights

  1. सूर्य के राशि परिवर्तन को सूर्य की संक्रांति कहा जाता है।
  2. पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
  3. सूर्य के मकर में प्रवेश करते ही खरमास का समापन होगा।

नईदुनिया, उज्जैन। सूर्य के उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन सुबह 7 बजकर 59 मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, जब सूर्य का प्रवेश दिन में हो या सुबह सूर्योदय के तीन मुहूर्त के आसपास हो, तो मकर संक्रांति का अनुक्रम बनता है।

धर्मशास्त्र की इसी मान्यता के अनुसार, 14 तारीख को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। मोक्षदायिनी शिप्रा में पर्व स्नान होगा। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया, सूर्य के राशि परिवर्तन को सूर्य की संक्रांति कहा जाता है। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है।

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सूर्य की मकर संक्रांति शुभ

  • सूर्य सिद्धांत की मान्यता के अनुसार, 14 जनवरी मंगलवार को पुनर्वसु नक्षत्र, विषकुंभ योग एवं बालव करण तथा कर्क राशि के चंद्रमा की साक्षी में सूर्य देवता का धनु राशि को छोड़कर के मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
  • मकर राशि में प्रवेश होते ही सूर्य की मकर संक्रांति कहलाएगी। यह समय सुबह 7.59 पर होगा। सूर्य के मकर में प्रवेश करते ही खरमास का समापन होगा तथा उत्तरायण का पक्ष आरंभ हो जाएगा।
  • मांगलिक कार्य आरंभ होंगे। मकर संक्रांति का पर्व काल होने से यह स्नान, दान, तर्पण, पितरों के निमित्त श्रद्धा व्यक्त करने का दिवस है। इस दिन अन्नदान, वस्त्रदान करने का विशेष महत्व है।
  • तांबा, चांदी अथवा सोने के कलश में काले तिल भरकर के दान करने का महत्व भी बताया गया है। इस दिन जल में काले तिल डालकर स्नान करने से गरीबी दूर होती है तथा रोग, दोष समाप्त होते हैं।

व्यापार में उतार चढ़ाव, भारत लाए जा सकते हैं वन्यप्राणी

शास्त्रीय गणना व सूर्य सिद्धांत में संक्रांति के शुभ अशुभ फल में वाहन का विशेष महत्व होता है। इस बार संक्रांति का वाहन व्याघ्र तथा उप वाहन अश्व रहेगा। व्याघ्र पर सवार होकर आ रही संक्रांति वन्य प्राणियों के लिए विशेष प्रभावी रहेगी। इससे बाघ व कूनों में चीतों की संख्या में वृद्धि होगी। अन्य देशों से नए वन्यप्राणी भारत लाए जा सकते हैं। प्राणियों के जीवन पर कुछ संकट की स्थिति भी बन सकती है।



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Vivah Muhurat 2025: कल से शुरू हो रहा खरमास, एक महीने तक नहीं होंगे विवाह…. नए साल में जून तक 40 दिन शुभ मुहूर्त

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हिंदू धर्म में मलमास या खरमास को बहुत मान्यता है। इस अवधि में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस दौरान ईश्वर की भक्ति की जाती है। सूर्य की स्थिति में बदलाव के कारण यह स्थिति बनती है। अभी 15 दिसंबर से मलमास की शुरुआत होगी, जो 14 जनवरी तक रहेगा।



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Dattatreya Jayanti 2024: मार्गशीर्ष मास की चतुर्दशी आज… अमृत सिद्धि योग में मनाया जा रहा भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव

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देशभर में आज भगवान् दत्तात्रेय की पूजा की जा रही है। मान्यता है कि इस दिन भगवान का नाम जाप करने से कई तरह की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यह दिन इसलिए भी विशेष है क्योंकि आज अमृत सिद्धि योग और बुधादित्य योग बन रहे हैं।

By Arvind Dubey

Publish Date: Sat, 14 Dec 2024 08:25:53 AM (IST)

Updated Date: Sat, 14 Dec 2024 10:23:18 AM (IST)

Dattatreya Jayanti 2024: मार्गशीर्ष मास की चतुर्दशी आज… अमृत सिद्धि योग में मनाया जा रहा भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव
शनिवार के दिन रोहिणी नक्षत्र में दत्त जयंती का ज्योतिष में विशेष महत्व बताया गया है। (फाइल फोटो)

HighLights

  1. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी आज
  2. मनाया जा रहा भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव
  3. बुधादित्य योग में पूजा का मिलता है विशिष्ट फल

नईदुनिया, उज्जैन। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर 14 दिसंबर को अमृत सिद्धि योग में भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव मनाया जा रहा है। देशभर के प्रमुख मंदिरों में सुबह भगवान दत्तात्रेय का अभिषेक, पूजन व श्रृंगार के उपरांत शाम को गोधूलि बेला में महाआरती होगी।

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के दत्त मंदिरों में दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा की स्तुति गुंजायमान होगी। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया, पंचांग की गणना के अनुसार शनिवार के दिन रोहिणी नक्षत्र की साक्षी में आ रही दत्त जयंती विशिष्ट मानी जा रही है।

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इस दिन अमृत सिद्धि योग

  • भारतीय ज्योतिष शास्त्र में अमृत सिद्धि योग को अति महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। व्यावहारिक जीवन में यदि कोई समस्या आ रही है तो उस समस्या का निराकरण करने के लिए अमृत सिद्धि योग का संयोग विशिष्ट साधना उपासना की दृष्टि से श्रेष्ठ माना जाता है।
  • इस दौरान रोग दोष की निवृत्ति के लिए भगवान् दत्तात्रेय के विशिष्ट पाठ और मंत्रों का उच्चारण करने से या जाप करने से व्याधियों का निराकरण होता है। बंधन, बाधा समाप्त होती है। विशिष्ट योग के अंतर्गत गुरु मार्ग के माध्यम से दत्त भगवान की साधना करनी चाहिए।

बुधादित्य योग का भी संयोग

पंचांग की गणना के अनुसार, दत्त जयंती पर अमृत सिद्धि योग तो है ही, मूल रूप से सूर्य बुध का वृश्चिक राशि में होकर के बुध आदित्य योग का निर्माण करना भी अपने आप में विशेष है।

महाकाल के समीप प्राचीन दत्त मंदिर

दत्तात्रेय जयंती पर महाकाल मंदिर के हाथी द्वार के समीप स्थित प्राचीन दत्त मंदिर में भगवान का प्राकट्योत्सव मनाया जाएगा। पुजारी संजय दिवटे ने बताया इस स्थान पर ओदुंबर (गुलर) के वृक्ष के नीचे वासुदेव सरस्वतीजी टेमरे स्वामीजी महाराज ने विश्राम किया था।

आज भी इस मंदिर में ओदुंबर का वह वृक्ष तथा स्वामीजी की चरण पादुका मौजूद है। दिवटे ने बताया टेमरे स्वामीजी महाराज भगवान दत्तात्रेय के अवतार माने जाते हैं। दत्त जयंती पर सुबह भगवान का अभिषेक पूजन होगा। शाम को गोधूलि बेला में महाआरती की गई।

यहां भी क्लिक करें – पौष मास की शुरुआत 16 दिसंबर से… ग्रहों के राजा सूर्य की आराधना से हर रुका काम पूरा होगा



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