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ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण,- Osteoporosis ke lakshan

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ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या जोड़ों में टिशूज के ब्रेकडाउन के कारण बढ़ने लगती है। इसके चलते लंबे समय तक जोड़ों में दर्द और सूजन बनी रहती है। ये एक साइलेंट किलर है, जो पोषण की कमी के चलते हड्डियों को कमज़ोर बनाता है।

उम्र बढ़ने के साथ बोन डेंसिटी में परिवर्तन आने लगता है। इसके चलते जोड़ों में दर्द का सामना करना पड़ता है, जो ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या का मुख्य संकेत है। क्रॉनिक ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) के चलते लोगों को चलने- फिरने में तकलीफ और फ्रैक्चर का खतरा बना रहता है। सर्दियों में ये समस्या गंभीर होने लगती है। ठंड के कारण फिजिकल एक्टिविटी का अभाव, धूप की कमी और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं इस बीमारी के जोखिम को बढ़ाती हैं। इससे जोड़ों का दर्दबढ़ने लगता है और गिरने का खतरा भी बना रहता है। जानते हैं ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) से राहत पाने के बेहतरीन तरीके।

तेजी से बढ़ रहे हैं ऑस्टियोपोरोसिस के आंकड़े (Osteoporosis cases)

एनसीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार 60 से लेकर 79 वर्ष की आयु के पुरुषों में ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) और ऑस्टियोपेनिया के मामले 10 फीसदी और 36 फीसदी पाए जाते हें। वहीं 40 वर्ष से 79 वर्ष की आयु के बीच की महिलाओं में 18.5 से लेकर 44.7 फीसदी मामले पाए जाते है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis), मस्कुलोस्केलेटल एंड स्किन डिज़ीज़ के अनुसार ये समस्या जोड़ों में टिशूज के ब्रेकडाउन के कारण बढ़ने लगती है। इसके चलते लंबे समय तक जोड़ों में दर्द और सूजन बनी रहती है। ये समस्या घुटनों के अलावा कूल्हों और हाथों के जोड़ों में बढ़ने लगती है। ऑस्टियोआर्थराइटिस को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर की मदद आवश्यक है।

इस बारे में फिज़ियोथेरेपिस्ट डॉ गरिमा भाटिया बताती हें कि ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) एक साइलेंट डिज़ीज़ है। शरीर में बोन मास डेंसिटी के कारण फ्रैक्चर होने का खतरा बना रहता है। प्रोटीन और कैल्शियम की कमी के चलते हड्डिया कमज़ोर और खोखली होने लगती है। इससे शरीर में संतुलन की कमी और स्पाइनल फ्रैक्चर का जोखिम बढ़ने लगता है। जीवनशैली में आने वाले बदलाव इस समस्या को बढ़ा देते हैं।

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Osteoporosis se kaise raahat paayein
इसके चलते हड्डिया कमज़ोर हो जाती है, जो फिसलने भरने से टूटने लगती है।

ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण (Causes of osteoporosis)

1. पोश्चर में नज़र आता है बदलाव

इस समस्या से ग्रस्त होने पर शरीर आगे की ओर झुका हुआ नज़र आने लगता है। शरीर की लंबाई में भी अंतर नज़र आता है। इस समस्या से ग्रस्त होने पर व्यक्ति का पोश्चर खराब हो जाता है।

2. नाखून कमज़ोर होना

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार नाखून कमज़ोर और धारीदार नज़र आने लगते है। शरीर में कैल्शियम की कमी नाखूनों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है।

3. बोन फ्रैक्चर की संभावना

इसके चलते हड्डिया कमज़ोर हो जाती है, जो फिसलने भरने से टूटने लगती है। बार बार होने वाले फ्रैक्चर ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) का शुरूआती लक्षण है। इससे जोड़ों में दर्द की समस्या भी बढ़ जाती है।

इसके चलते हड्डिया कमज़ोर हो जाती है, जो फिसलने भरने से टूटने लगती है। चित्र : शटरस्टॉक

4. पकड़ कमज़ोर होना

न्यूनतम पकड़ भी इस समस्या का मुख्य लक्षण है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार मेनोपॉज के बाद महिलाओं में कमजोर पकड़ और गिरने का खतरा बढ़ जाता है। बोन डेंसिटी का कमज़ोर होना पकड़़ की कमज़ोरी बढ़ाता है।

ऑस्टियोपोरोसिस को नियंत्रित करने के लिए इन तरीकों को अपनाएं (Tips to deal with osteoporosis)

1. नियमित व्यायाम है ज़रूरी

बोन डेंसिटी को बढ़ाने और जोड़ों में होने वाले दर्द को कम करने के लिए एरोबिक्स और योगासन का अभ्यास फायदेमंद साबित होता है। इससे जोड़ों की गतिशीलता को बढ़ाने में भी मदद करता हैए जो समग्र हड्डियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में योगदान देता है। इससे वेटलॉस में भी मदद मिलती है। अमेरिकन कॉलेज ऑफ रुमेटोलॉजी के अनुसार स्ट्रेथ एक्सरसाइज़, वॉकिंग, सीढ़ियां चढ़ना और ताई ची का अभ्यास फायदेमंद साबित होता है।

2. आहार में लाएं परिवर्तन

सर्दी के मौसम में धूप की कमी विटामिन डी डेंफिशेंसी का कारण साबित होती है। ऐसे में आहार में प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन डी की मात्रा को बढ़ाएं। इसके लिए आहार में डेयरी प्रोडक्टस, हरी पत्तेदार सब्जियां, फोर्टिफाइड फूड और सीड्स का सेवन करें। इसके अलावा धूप भी फासदेमंद साबित होती है।

आहार में साबुज अनाज, सब्जियां, फल और लो फैट डेयरी प्रोडक्ट्स लें। इसके अलावा नमक का ज्यादा सेवन करने से बचें। चित्र : शटरस्टॉक

3. वॉटर इनटेक बढ़ाएं

ब्लड सेल्स की बेहतरीन फंक्शनिंग के लिए मिनरल्स आवश्यक है। शरीर में वॉटर इनटेक बढ़ाकर मिनरल की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है। दरअसल, पानी शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में भी मदद करता है, जो हड्डियों में एकत्रित होने लगते भी हैं। इससे हड्डियों में सूजन और बोन मास में ब्रेकडाउन का सामना करना पड़ता है।

4. मोटापे को करें कम

जोड़ों और हड्डियों में बढ़ने वाले दर्द को कम करने के लिए वज़न को नियंत्रित रखना आवश्यक है। दरअसल, शरीर का बढ़ता वज़न सिस्टम पर दबाव डालता है, जो हड्डियों की कमज़ोरी और दर्द का कारण साबित होता है। ऐसे में शरीर के संतुलित रखकर जोड़ों पर बढ़ने वाले स्ट्रेन को रोका जा सकता है, जिससे शारीरिक अंगों में लचीलापन बढ़ने लगता है।

जोड़ों और हड्डियों में बढ़ने वाले दर्द को कम करने के लिए वज़न को नियंत्रित रखना आवश्यक है। चित्र शटरस्टॉक।

5. तनाव लेने से बचें

शारीरिक तनाव के अलावा मानसिक तनाव को भी दूर करना आवश्यक है। तनाव के चलते व्यक्ति सिडेंटरी लाइफस्टाइल फॉलो करने लगता है, जिससे दर्द और ऐंठन का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा विंटर ब्लूज भी इसका कारण बनने लगता है। ऐसे में शरीर को रिलैक्स रखें और तनाव लेने से भी बचें।

6. डॉक्टर की सलाह से दवाएं लें

शरीर में बढ़ने वाली दर्द और ऐंठन के प्रबंधन के लिए चेकअप करवाएं। साथ ही डॉक्टरी जांच के बाद बताई गईं एंटी इंफ्लेमरी और पेन रिलीवर दवाएं खाएं। इससे दर्द की समस्या को कम किया जा सकता है। साथ ही सूजन से राहत मिलती है। इसके अलावा जेल और क्रीम का भी इस्तेमाल करें।




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