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World Year Ender 2024: भारत, रूस और अमेरिका समेत कई बड़े देशों में हुए चुनाव, इन नेताओं की जीत ने बदला वर्ल्ड ऑर्डर
World Year Ender 2024: साल 2024 भारत, अमेरिका जैसे दुनिया सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों समेत ब्रिटेन, रूस, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे तमाम देशों में आम चुनाव के लिए भी जाना जाएगा। जिसने दुनिया में वर्ल्ड ऑर्डर को बदलने का काम किया। आइये आपको बताते हैं कि दुनिया के किन प्रमुख देशों में चुनाव हुए और उसका परिणाम क्या रहा?
भारत
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र कहे जाने वाले भारत में अप्रैल से जून तक लोकसभा का चुनाव हुआ। इस चुनाव में पीएम मोदी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की जीत हुई। बहुमत के लिए जरूरी 272 सीटों की बदौलत एनडीए ने 303 सीटें हासिल की। भाजपा ने अकेले 240 सीटों पर जीत दर्ज की। इस प्रकार नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद लगातार तीसरी बार पीएम बनने वाले मोदी देश के दूसरे नेता बन गए। पीएम मोदी की इस जीत ने विश्व मंच पर उनकी लीडरशिप के साथ भारत की ताकत को और मजबूत किया।
अमेरिका
दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका में 5 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव हुआ। रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए। उन्होंने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की और सातों स्विंग स्टेट्स में अपनी प्रतिद्वंद्वी और डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस को बड़े अंतर से हराया। अब वह आगामी 20 जनवरी को अमेरिका के नए 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेंगे।
रूस
यूक्रेन से छिड़ी जंग के बीच व्लादिमिर पुतिन को अप्रैल 2024 में 5वीं बार रूस का राष्ट्रपति चुना गया। वह 2024 से लगातार सत्ता में हैं। पुतिन अगले 6 साल के लिए रूस के राष्ट्रपति बने हैं। यानि 2030 तक वह रूस की सत्ता में रहेंगे। इस बार उन्हें 87 फीसदी से ज्यादा मत हासिल हुए।
ब्रिटेन चुनाव
ब्रिटेन में 650 सीटों के लिए 4 जुलाई 2024 को हुए आम चुनाव में 14 साल बाद लेबर पार्टी का जादू चला। तत्कालीन प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की राइट-विंग कंजर्वेटिव पार्टी को भारी हार का सामना करना पड़ा। लेबर पार्टी ने करीब 410 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया और कीर स्टार्मर ब्रिटेन के नए प्रधानंत्री बने।
दक्षिण अफ्रीका
यहां 29 मई 2024 को नेशनल असेंबली का चुनाव हुआ। यहां सत्तारूढ़ अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी रही, लेकिन उसके समर्थन में काफी गिरावट दर्ज की गई। लिहाजा पार्टी ने संसद में अपना बहुमत खो दिया।
जापान
जापान में 27 अक्तूबर 2024 को आम चुनाव हुए। इसमें प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) को बहुमत नहीं मिला। सत्तारूढ़ गठबंधन बहुमत से 18 सीटें पीछे रहते हुए 215 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं मुख्य विपक्षी संवैधानिक डेमोक्रेटिक पार्टी को 148 सीटें मिली। पिछले चुनाव के मुकाबले उसे 50 सीटों का नुकसान हुआ।
फ्रांस
फ्रांस में भी जुलाई 2024 में आम चुनाव हुए। यहां 577 सीटों के लिए हुए चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल सका। वामपंथी न्यू पॉपुलर फ्रंट गठबंधन ने इस चुनाव में बड़ी सफलता हासिल की और 188 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का मध्यमार्गी गठबंधन सिर्फ 161 सीटें हासिल कर सका। जबकि दक्षिण पंथी नेशनल रैली 141 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही। बहुमत के लिए कोई भी पार्टी 289 का आंकड़ा पार नहीं कर सकी।
बांग्लादेश चुनाव
जनवरी 2024 में बांग्लादेश में हुए चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की बड़ी जीत हुई। उन्होंने 300 सीटों वाली असेंबली में 222 सीटों पर जीत दर्ज की। जबकि निर्दलीय नेताओं ने 66 सीटें जीतीं। वहीं मुख्य विपक्षी खालिद जिया की पार्टी बीएनपी ने चुनाव का बहिष्कार किया। इस तरह शेख हसीना 5वीं बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं, लेकिन अगस्त 2024 में बांग्लादेश में छात्रों के आंदोलन ने उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया।
पाकिस्तान चुनाव
पाकिस्तान में 8 फरवरी 2024 को आम चुनाव हुए। पाकिस्तान की 336 सदस्यीय असेंबली में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल) ने 75 सीटें जीतीं। वहीं बिलावल भुट्टों की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने 54 सीटों पर जीत दर्ज की। जबकि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं मिली। नौबत ये आ गई कि उनके समर्थकों को निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा। उन्होंने 100 सीटों पर जीत हासिल की। पीएमएल-एन गठबंधन ने दूसरी बार सरकार बनाई। नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ दूसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने।
श्रीलंका चुनाव
21 सितंबर 2024 को श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव हुआ। इसमें वामपंथी नेता अनुरा कुमार दिसानायके को भारी जीत हासिल हुई। उन्होंने 50 फीसदी से अधिक मत हासिल किया। जबकि तत्कालीन राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंघे तीसरे स्थान पर रहे। जबकि विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा दूसरे स्थान पर रहे। इसके बाद संसदीय चुनाव में भी राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की पार्टी नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) 225 सदस्यों वाली संसद में 123 सीटें जीतकर बहुमत हासिल कर लिया।
कैसे बदला दुनिया का वर्ल्ड ऑर्डर
भारत में नरेंद्र मोदी की लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी, रूस में राष्ट्रपति पुतिन का लगातार 5वीं बार शासन में वापस आना और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रपति चुनाव में ऐतिहासिक जीत ने वर्ल्ड ऑर्डर बदलने का काम किया। खास बात यह है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन और अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी दोस्तों में हैं। वहीं डोनाल्ड ट्रंप का पुतिन के प्रति बाइडेन की अपेक्षा लचीला रुख है। इससे वर्ल्ड ऑर्डर भी बदलता दिखने लगा है। दुनिया में छिड़े रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-हमास, इजरायल-हिजबुल्ला, इजरायल-ईरान युद्ध के थमने के आसार नजर आने लगे हैं। भारत-चीन के बीच इस बीच 4 साल बाद तनाव में कमी आना और सीमा पर शांति का बहाल होना बड़ी वैश्विक घटना है। यह सब वर्ल्ड ऑर्डर बदलने के संकेत हैं।
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भारत और कुवैत अब रणनीतिक साझेदार, पीएम मोदी और कुवैत के अमीर के बीच वार्ता
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुवैत की दो दिवसीय यात्रा समाप्त कर के वापस भारत वापस आ चुके हैं। पीएम मोदी की ये यात्रा कई मायनों में अहम मानी जा रही है। पीएम मोदी ने रविवार को कुवैत के अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा के साथ व्यापक वार्ता की है। इसके साथ ही भारत और कुवैत ने अपने रिश्तों को रणनीतिक साझेदारी के रूप में विस्तारित कर लिया है। आइए जानते हैं कि दोनों देशों के बीच किन मुद्दों पर समझौता हुआ है।
अमीर के साथ शानदार बैठक- पीएम मोदी
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कुवैत के अमीर ने वार्ता में सूचना प्रौद्योगिकी, औषधि, फिनटेक, बुनियादी ढांचे और सुरक्षा क्षेत्र में संबंधों को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर के जानकारी दी है कि कुवैत के अमीर के साथ उनकी वार्ता काफी अच्छी रही है। पीएम मोदी ने कहा- “कुवैत के महामहिम अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल सबा के साथ शानदार बैठक हुई।”
43 साल बाद किसी भारतीय पीएम की यात्रा
पीएम मोदी 43 वर्षों में पहले ऐसे भारतीय पीएम हैं जिन्होंने कुवैत की यात्रा की है। इससे पहले साल 1981 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कुवैत की यात्रा की थी। अपनी कुवैत यात्रा को लेकर पीएम मोदी ने कहा- “हमारे देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों के अनुरूप हमने अपनी साझेदारी को रणनीतिक स्तर तक बढ़ाया है तथा मैं आशावादी हूं कि आने वाले समय में हमारी दोस्ती और भी अधिक विकसित होगी।’’
भारत और कुवैत के बीच व्यापार
खाड़ी देश कुवैत भारत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2023-24 में 10.47 अरब अमेरिकी डॉलर रहा है। बता दें कि कुवैत भारत का छठा सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता है। भारत का कुवैत को निर्यात भी पहली बार दो अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है। (इनपुट: भाषा)
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श्मशान में हिंदू पुजारी की हत्या पर बांग्लादेश ने दी सफाई, कहा-सांप्रदायिक हिंसा से नहीं हुई मौत
ढाका: बांग्लादेश के श्मशान घाट में हिंदू पुजारी की हत्या को लेकर अंतरिम सरकार की ओर से सफाई पेश की गई है। मोहम्मद यूनुस सरकार का कहना है कि पुजारी की मौत सांप्रदायिक हिंसा में नहीं हुई है।बांग्लादेश सरकार की मीडिया शाखा ने रविवार को कहा कि देश में हाल ही में मारा गया व्यक्ति हिंदू पुजारी नहीं था और उसकी मौत सांप्रदायिक हिंसा से नहीं बल्कि श्मशान घाट में चोरी से जुड़ी थी।
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के एक व्यक्ति की कथित हत्या के संबंध में इस्कॉन कोलकाता द्वारा किए गए दावों को खारिज करते हुए, ‘चीफ एडवाइजर्स प्रेस विंग फैक्ट्स’ के आधिकारिक फेसबुक पेज ने इस्कॉन बांग्लादेश के अधिकारियों और नाटोर पुलिस से मिली जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि यह हत्या संभवतः डकैती के प्रयास के कारण हुई। यह स्पष्टीकरण इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता राधारमण दास द्वारा सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक वीडियो साझा करने के एक दिन बाद आया। इसमें दावा किया गया था कि बांग्लादेश के नाटोर में एक श्मशान घाट पर स्थित मंदिर में “तरुण कुमार दास नामक एक हिंदू पुजारी की चरमपंथियों द्वारा हत्या कर दी गई”। ‘
कथित तौर पर पीड़ित का हाथ-पैर बांध कर शव को दफनाते देखा गया था
कथित तौर पर पीड़ित के हाथ-पैर बंधे हुए शव को एक वीडियो में दिखाया गया था। दास ने आरोप लगाया कि पुजारी को मारने से पहले उसे प्रताड़ित किया गया और मंदिर में लूटपाट की गई। नाटोर सदर पुलिस थाने के प्रभारी मोहम्मद महबूबोर रहमान के हवाले से सीए प्रेस विंग की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “शनिवार और रविवार की सुबह के बीच मिली जानकारी के आधार पर प्रारंभिक तौर पर यह माना जाता है कि कुछ नशेड़ियों ने श्मशान घाट से चोरी करने का प्रयास किया था। सभी संभावित कारणों की जांच की जा रही है।” (भाषा)
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गाजा में इजरायल के भीषण हवाई हमले में 16 लोगों की मौत, सर्दी भी ढा रही कहर
दीर अल-बला (गाजा पट्टी): गाजा पट्टी में इजरायल के भीषण हवाई हमलों में कम से कम 16 लोग मारे गए हैं। फिलिस्तीनी चिकित्सा अधिकारियों ने यह जानकारी दी। हमास सरकार से संबद्ध ‘सिविल डिफेंस’ के अनुसार, गाजा शहर में विस्थापितों को आश्रय देने वाले एक स्कूल पर हुए हमले में कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 4 बच्चे भी शामिल हैं। इजरायली सेना ने कहा कि उसने वहां शरण लिए हमास आतंकवादियों को निशाना बनाया। ‘
अल-अक्सा शहीद’ अस्पताल के अनुसार, शनिवार देर रात दीर अल-बला में एक घर पर हुए हमले में कम से कम 8 लोग मारे गए। अस्पताल के पास स्थित नासिर अस्पताल के अनुसार, रविवार को आधी रात के बाद दक्षिणी शहर खान यूनिस में हुए हमले में 2 और लोग मारे गए। इन हमलों पर सेना की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं आई है।
गाजा में सर्दी का कहर
इजरायली मिसाइलों के अलावा सर्दी भी फिलिस्तीनियों पर कहर ढाने लगी है। गाजा में इन दिनों भीषण सर्दी पड़ रही है। इजरायल से 14 महीने से जारी युद्ध के कारण विस्थापित हुए लगभग 20 लाख लोगों में से कई लोग खुद को हवा, ठंड और बारिश से बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सहायता कर्मियों और निवासियों के अनुसार लोगों के पास कंबलों और गर्म कपड़ों की कमी है, अलाव के लिए लकड़ी बहुत कम है और जिन तंबुओं व तिरपालों में परिवार रह रहे हैं, वे महीनों से जारी उपयोग के कारण बहुत ही खस्ताहाल हो गए हैं। दक्षिणी शहर रफह से विस्थापित हुईं शादिया अयादा के पास अपने आठ बच्चों को खस्ताहाल तंबू के अंदर ठंड से बचाने के लिए केवल एक कंबल और एक गर्म पानी की बोतल है।
तेज हवा में लगता है डर
शादिया ने कहा, “जब भी हमें पता चलता है कि बारिश और तेज हवा का पूर्वानुमान है, तो हम डर जाते हैं क्योंकि हमारे तंबू हवा से उड़ जाते हैं।” रात के समय तापमान आम तौर पर पांच से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, इसलिए अयादा को डर है कि उनके बच्चे गर्म कपड़ों के बिना बीमार पड़ जाएंगे। अयादा ने कहा कि जब वे अपना घर छोड़कर आए थे, तो उनके बच्चों के पास केवल गर्मियों के कपड़े थे। उन्होंने कहा कि उन्हें रिश्तेदारों और दोस्तों से कुछ गर्म कपड़े उधार लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। उत्तरी गाजा से अपने परिवार के साथ विस्थापित हुईं 50 वर्षीय रिदा अबू जरादा ने बताया कि लोग तंबू के अंदर बच्चों को गोद में लेकर सोते हैं। ताकि उन्हें गर्म रखा जा सके।
उन्होंने कहा, “दरवाजे न होने और तंबू फटे होने के कारण रात में चूहे हमारे ऊपर चलते हैं। कंबल हमें गर्म नहीं रख पाते। हमें ऐसा लगता है कि जमीन पर बर्फ पड़ी हो। हम सुबह ठंड से ठिठुरते हुए उठते हैं।” उन्होंने कहा, “मुझे डर है कि एक दिन मैं जागूंगी और पाऊंगी कि कोई बच्चा ठंड से मर गया है।” संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अस्थायी आश्रयों में रह रहे लोग शायद सर्दियों में जीवित न रह पाएं। संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को कहा था कि कम से कम 9,45,000 लोगों को सर्दी से जुड़े सामान की आवश्यकता है, जो गाजा में बहुत महंगे हो गए हैं। (एपी)