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व्रत त्यौहार

Vivah Panchami 2024: माता जानकी और प्रभु श्रीराम को आज लगाएंगे मेहंदी, कल रचाएंगे विवाह… सर्वार्थ सिद्धि तथा रवि योग में मनेगी विवाह पंचमी

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विवाह पंचमी पर देश से सभी प्रमुख राम मंदिरों में राम जानकी विवाह उत्सव छह दिसंबर को मनाया जाएगा। इस दौरान चारों भाइयों- भगवान राम, लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न की बारात बैंड बाजों के साथ निकाली जाएगी। वैदिक मंत्रोचार के साथ पूजन अर्चन किया जाएगा। मंगल बधाई गीत गाए जाएंगे। इसके उपरांत आरती होगी एवं प्रसाद वितरण किया जाएगा।

By Arvind Dubey

Publish Date: Thu, 05 Dec 2024 10:17:18 AM (IST)

Updated Date: Thu, 05 Dec 2024 10:17:18 AM (IST)

Vivah Panchami 2024: माता जानकी और प्रभु श्रीराम को आज लगाएंगे मेहंदी, कल रचाएंगे विवाह… सर्वार्थ सिद्धि तथा रवि योग में मनेगी विवाह पंचमी
विवाह पंचमी पर भगवान श्रीराम व माता सीता का पूजन विशेष शुभकारी माना जाता है।

HighLights

  1. मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हुआ था राम-सीता विवाह
  2. इसे विवाह पंचमी कहा जाता है, जो विवाह के लिए शुभ मानी जाती है
  3. भगवान राम – माता सीता की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है

धर्म डेस्क, इंदौर (Vivah Panchami 2024)। अगहन यानी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन पुरुषोत्तम श्रीराम का विवाह माता सीता से हुआ था। हर साल इस दिन को भगवान राम और मां सीता की शादी की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है।

विवाह पंचमी के उपलक्ष्य में देशभर के प्रमुख मंदिरों में विशेष आयोजन हो रहे हैं। राम-सीता का विवाह रचाया जा रहा है। गुरुवार को हल्दी की रस्म निभाई जाएगी। शुक्रवार को बारात निकलेगी।

मान्यता है कि विवाह पंचमी पर राम-सिया के पूजन से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। इस साल 6 दिसंबर शुक्रवार को शुभ फलदायी सर्वार्थ सिद्धि व रवि योग सहित अन्य शुभ योगों में विवाह पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन सीता-राम के मंदिरों में विशेष पूजन व धार्मिक आयोजन होंगे। भक्त पूजा, यज्ञ और अनुष्ठान करेंगे। कई स्थानों पर श्री रामचरितमानस का पाठ भी किया जाएगा।

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विवाह पंचमी पर बने रहे ये योग

  • ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि पंचमी तिथि 05 दिसंबर की दोपहर 12:49 बजे आरम्भ होगी। 06 दिसंबर की दोपहर 12:07 बजे सम्पन्न होगी। उदया तिथि के अनुसार, छह दिसंबर को विवाह पंचमी मनाई जाएगी।
  • छह दिसंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह में 07:00 बजे से लेकर शाम 5:18 मिनट तक है। पंचमी को शाम 5:18 मिनट से रवि योग भी बन रहा है। यह अगले दिन सात दिसंबर को सुबह 7:01 मिनट तक है।
  • इनके अलावा ध्रुव योग प्रात:काल से लेकर सुबह 10:43 मिनट तक रहेगा, फिर व्याघात योग बनेगा। विवाह पंचमी को प्रात:काल से श्रवण नक्षत्र है, जो शाम को 5:18 मिनट तक रहेगा। उसके बाद से धनिष्ठा नक्षत्र है।

रामचरितमानस की रचना हुई थी पूरी

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही तुलसीदास जी ने रामचरितमानस पूर्ण की थी। साथ ही राम जी और सीता जी का विवाह भी इसी दिन हुआ था। इसलिए विवाह पंचमी के दिन रामचरितमानस का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन राम-सिया के पूजन से शादी में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।

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मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को भगवान राम और माता सीता का विवाह संपन्न हुआ था, इसलिए यह महीना बेहद शुभ होता है। मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी भी कहा जाता है। यह तिथि विवाह के लिए सबसे शुभ मानी जाती है। इस दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है। – पंडित जगदीश शर्मा, मध्य प्रदेश



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Makar Sankranti 2025: सूर्य के उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को, सुबह 7 बजकर 59 मिनट पर मकर राशि में होगा प्रवेश

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ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार, सूर्य की मकर संक्रांति को शुभ माना जाता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण की ओर गमन करने लगते हैं। यह समय सकारात्मकता, धर्म, कर्म तथा मांगलिक कार्यों के लिए विशेष शुभ माना जाता है।

By Arvind Dubey

Publish Date: Tue, 17 Dec 2024 12:56:30 PM (IST)

Updated Date: Tue, 17 Dec 2024 01:02:37 PM (IST)

Makar Sankranti 2025: सूर्य के उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को, सुबह 7 बजकर 59 मिनट पर मकर राशि में होगा प्रवेश
मकर संक्रांति से मांगलिक कार्य आरंभ होंगे।

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  1. सूर्य के राशि परिवर्तन को सूर्य की संक्रांति कहा जाता है।
  2. पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
  3. सूर्य के मकर में प्रवेश करते ही खरमास का समापन होगा।

नईदुनिया, उज्जैन। सूर्य के उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन सुबह 7 बजकर 59 मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, जब सूर्य का प्रवेश दिन में हो या सुबह सूर्योदय के तीन मुहूर्त के आसपास हो, तो मकर संक्रांति का अनुक्रम बनता है।

धर्मशास्त्र की इसी मान्यता के अनुसार, 14 तारीख को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। मोक्षदायिनी शिप्रा में पर्व स्नान होगा। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया, सूर्य के राशि परिवर्तन को सूर्य की संक्रांति कहा जाता है। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है।

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सूर्य की मकर संक्रांति शुभ

  • सूर्य सिद्धांत की मान्यता के अनुसार, 14 जनवरी मंगलवार को पुनर्वसु नक्षत्र, विषकुंभ योग एवं बालव करण तथा कर्क राशि के चंद्रमा की साक्षी में सूर्य देवता का धनु राशि को छोड़कर के मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
  • मकर राशि में प्रवेश होते ही सूर्य की मकर संक्रांति कहलाएगी। यह समय सुबह 7.59 पर होगा। सूर्य के मकर में प्रवेश करते ही खरमास का समापन होगा तथा उत्तरायण का पक्ष आरंभ हो जाएगा।
  • मांगलिक कार्य आरंभ होंगे। मकर संक्रांति का पर्व काल होने से यह स्नान, दान, तर्पण, पितरों के निमित्त श्रद्धा व्यक्त करने का दिवस है। इस दिन अन्नदान, वस्त्रदान करने का विशेष महत्व है।
  • तांबा, चांदी अथवा सोने के कलश में काले तिल भरकर के दान करने का महत्व भी बताया गया है। इस दिन जल में काले तिल डालकर स्नान करने से गरीबी दूर होती है तथा रोग, दोष समाप्त होते हैं।

व्यापार में उतार चढ़ाव, भारत लाए जा सकते हैं वन्यप्राणी

शास्त्रीय गणना व सूर्य सिद्धांत में संक्रांति के शुभ अशुभ फल में वाहन का विशेष महत्व होता है। इस बार संक्रांति का वाहन व्याघ्र तथा उप वाहन अश्व रहेगा। व्याघ्र पर सवार होकर आ रही संक्रांति वन्य प्राणियों के लिए विशेष प्रभावी रहेगी। इससे बाघ व कूनों में चीतों की संख्या में वृद्धि होगी। अन्य देशों से नए वन्यप्राणी भारत लाए जा सकते हैं। प्राणियों के जीवन पर कुछ संकट की स्थिति भी बन सकती है।



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Vivah Muhurat 2025: कल से शुरू हो रहा खरमास, एक महीने तक नहीं होंगे विवाह…. नए साल में जून तक 40 दिन शुभ मुहूर्त

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हिंदू धर्म में मलमास या खरमास को बहुत मान्यता है। इस अवधि में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस दौरान ईश्वर की भक्ति की जाती है। सूर्य की स्थिति में बदलाव के कारण यह स्थिति बनती है। अभी 15 दिसंबर से मलमास की शुरुआत होगी, जो 14 जनवरी तक रहेगा।



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Dattatreya Jayanti 2024: मार्गशीर्ष मास की चतुर्दशी आज… अमृत सिद्धि योग में मनाया जा रहा भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव

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देशभर में आज भगवान् दत्तात्रेय की पूजा की जा रही है। मान्यता है कि इस दिन भगवान का नाम जाप करने से कई तरह की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यह दिन इसलिए भी विशेष है क्योंकि आज अमृत सिद्धि योग और बुधादित्य योग बन रहे हैं।

By Arvind Dubey

Publish Date: Sat, 14 Dec 2024 08:25:53 AM (IST)

Updated Date: Sat, 14 Dec 2024 10:23:18 AM (IST)

Dattatreya Jayanti 2024: मार्गशीर्ष मास की चतुर्दशी आज… अमृत सिद्धि योग में मनाया जा रहा भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव
शनिवार के दिन रोहिणी नक्षत्र में दत्त जयंती का ज्योतिष में विशेष महत्व बताया गया है। (फाइल फोटो)

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  1. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी आज
  2. मनाया जा रहा भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव
  3. बुधादित्य योग में पूजा का मिलता है विशिष्ट फल

नईदुनिया, उज्जैन। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर 14 दिसंबर को अमृत सिद्धि योग में भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव मनाया जा रहा है। देशभर के प्रमुख मंदिरों में सुबह भगवान दत्तात्रेय का अभिषेक, पूजन व श्रृंगार के उपरांत शाम को गोधूलि बेला में महाआरती होगी।

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के दत्त मंदिरों में दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा की स्तुति गुंजायमान होगी। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया, पंचांग की गणना के अनुसार शनिवार के दिन रोहिणी नक्षत्र की साक्षी में आ रही दत्त जयंती विशिष्ट मानी जा रही है।

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इस दिन अमृत सिद्धि योग

  • भारतीय ज्योतिष शास्त्र में अमृत सिद्धि योग को अति महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। व्यावहारिक जीवन में यदि कोई समस्या आ रही है तो उस समस्या का निराकरण करने के लिए अमृत सिद्धि योग का संयोग विशिष्ट साधना उपासना की दृष्टि से श्रेष्ठ माना जाता है।
  • इस दौरान रोग दोष की निवृत्ति के लिए भगवान् दत्तात्रेय के विशिष्ट पाठ और मंत्रों का उच्चारण करने से या जाप करने से व्याधियों का निराकरण होता है। बंधन, बाधा समाप्त होती है। विशिष्ट योग के अंतर्गत गुरु मार्ग के माध्यम से दत्त भगवान की साधना करनी चाहिए।

बुधादित्य योग का भी संयोग

पंचांग की गणना के अनुसार, दत्त जयंती पर अमृत सिद्धि योग तो है ही, मूल रूप से सूर्य बुध का वृश्चिक राशि में होकर के बुध आदित्य योग का निर्माण करना भी अपने आप में विशेष है।

महाकाल के समीप प्राचीन दत्त मंदिर

दत्तात्रेय जयंती पर महाकाल मंदिर के हाथी द्वार के समीप स्थित प्राचीन दत्त मंदिर में भगवान का प्राकट्योत्सव मनाया जाएगा। पुजारी संजय दिवटे ने बताया इस स्थान पर ओदुंबर (गुलर) के वृक्ष के नीचे वासुदेव सरस्वतीजी टेमरे स्वामीजी महाराज ने विश्राम किया था।

आज भी इस मंदिर में ओदुंबर का वह वृक्ष तथा स्वामीजी की चरण पादुका मौजूद है। दिवटे ने बताया टेमरे स्वामीजी महाराज भगवान दत्तात्रेय के अवतार माने जाते हैं। दत्त जयंती पर सुबह भगवान का अभिषेक पूजन होगा। शाम को गोधूलि बेला में महाआरती की गई।

यहां भी क्लिक करें – पौष मास की शुरुआत 16 दिसंबर से… ग्रहों के राजा सूर्य की आराधना से हर रुका काम पूरा होगा



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