व्रत त्यौहार
Mokshada Ekadashi 2024: बुधवार और एकादशी का योग… भगवान विष्णु के साथ गणेश जी और श्रीकृष्ण की विशेष पूजा का महत्व
मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत रखने से पापों से मुक्ति मिलती है और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। यही कारण है कि इस दिन को गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
By Arvind Dubey
Publish Date: Tue, 10 Dec 2024 08:16:23 PM (IST)
Updated Date: Tue, 10 Dec 2024 08:17:11 PM (IST)
HighLights
- श्रीहरि विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित है मोक्षदा एकादशी
- एकादशी पर भगवान विष्णु को लगाएं साबूदाना खीर का भोग
- एकादशी पर दीपदान का विशेष महत्व, मंदिरों में आयोजन
धर्म डेस्क, इंदौर (Mokshda Ekadashi 2024)। ज्योतिषाचार्य पं. गौरीशंकर दुबे ने बताया कि बुधवार और एकादशी के योग में भगवान विष्णु के साथ ही गणेश जी व श्रीकृष्ण की भी विशेष पूजा का शुभ योग बन रहा है। बुधवार के स्वामी गणेश है। एकादशी तिथि के स्वामी विष्णु जी माने गए हैं और इस एकादशी पर श्रीकृष्ण ने गीता उपदेश दिया था।
आज भी जो लोग गीता का पाठ करते हैं, उनके सभी दुख, संदेह दूर होते हैं और मन को शांति मिलती है। बुधवार और एकादशी के योग में जो लोग बुध ग्रह के लिए भी विशेष दान पुण्य करेंगे, तो कुंडली के बुध ग्रह से जुड़े दोषों का असर कम हो सकता है। बुध ग्रह के लिए हरे मूंग का दान करना चाहिए और गायों को हरी घास खिलाएं।
मंदिर में होंगे विशेष आयोजन, दीपदान का महत्व
- शिवधाम कुंडेश्वर में गीता जयंती व मोक्षदा एकादशी के उपलक्ष्य में दीपदान का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। बुधवार को शाम 4 बजे से जमडार नदी के तट पर दीपदान कार्यक्रम होगा। पिछले तीन सालों से मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती पर दीपदान का आयोजन किया जा रहा है।
- मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ स्थित शिवधाम कुंडेश्वर में जमडार नदी के उषा कुंड पर दीपदान का कार्यक्रम आयोजित किया गया है। साथ ही भजन संध्या, महाआरती और प्रसाद वितरण का आयोजन होगा।
- मोक्षदा एकादशी का व्रत समस्त पापों का नाश करने वाला है। कई साधु संतों ने गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी की महिमा का बखान किया है। कार्यक्रम में कलेक्टर अवधेश शर्मा सहित कई साधु संत और विभिन्न धार्मिक संगठनों के पदाधिकारी शामिल होंगे।
यहां भी क्लिक करें – मोक्षदा एकादशी… जानें तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
भगवान वहां भी हैं जहां हम पाप करते हैं : बीके रेखा बहन
‘आप सभी बुरे कामों को छोड़कर अच्छाइयों को अपनाएं। औरों को भी अच्छाई के रास्ते पर चलाएं। सद्भावना, सुविचारों का पाठ स्वयं भी पढ़ें औरों को भी पढ़ाएं। यह बात हमेशा याद रखें, कि जहां अच्छे काम होते हैं, पुण्य होते हैं, केवल वहां ही भगवान नहीं हैं। जहां बुरे कर्म, पाप होते हैं, वहां भी भगवान मौजूद रहते हैं। इसलिए ईश्वर के कण-कण में व्याप्त कहा जाता है।’
यह बातें बीके रेखा बहन ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय पोरसा द्वारा ग्वालियर के तरेनी गांव में आयोजित सत्संग कार्यक्रम में कहीं। सत्संग के दौरान लोगों को नशे के दुष्प्रभाव बताते हुए नशामुक्ति के लिए प्रेरित किया गया।
बीके रेखा बहन ने कहा कि आज मदिरा, चरस, अफीम, सिगरेट, गुटका जैसी नशे वाली चीजों से मानव अपने शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है। तनाव और बीमारियों से खुद को घेरे हुए हैं, इसलिए वह सकारात्मकता को अपना नहीं पा रहा।
ऐसे खानपान व्यवहार से परमात्मा की याद भी ऐसे मनुष्य आत्माओं के हृदय में नहीं ठहर पाती, जिससे वे अपराध जैसे गलत काम कर बैठते हैं। उनके अंदर सहनशक्ति रखने की शक्ति, सहयोग करने का भाव, निर्णय करने की शक्ति, सामना करने की क्षमता, इन शक्तियों से वह खुद को दूर कर बैठा है।
यहां भी क्लिक करें – 11 दिसंबर तक इन राशियों पर बरसेगी चंद्र देव की कृपा, चमक जाएगी किस्मत
व्रत त्यौहार
Makar Sankranti 2025: सूर्य के उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को, सुबह 7 बजकर 59 मिनट पर मकर राशि में होगा प्रवेश
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार, सूर्य की मकर संक्रांति को शुभ माना जाता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण की ओर गमन करने लगते हैं। यह समय सकारात्मकता, धर्म, कर्म तथा मांगलिक कार्यों के लिए विशेष शुभ माना जाता है।
By Arvind Dubey
Publish Date: Tue, 17 Dec 2024 12:56:30 PM (IST)
Updated Date: Tue, 17 Dec 2024 01:02:37 PM (IST)
HighLights
- सूर्य के राशि परिवर्तन को सूर्य की संक्रांति कहा जाता है।
- पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
- सूर्य के मकर में प्रवेश करते ही खरमास का समापन होगा।
नईदुनिया, उज्जैन। सूर्य के उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन सुबह 7 बजकर 59 मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, जब सूर्य का प्रवेश दिन में हो या सुबह सूर्योदय के तीन मुहूर्त के आसपास हो, तो मकर संक्रांति का अनुक्रम बनता है।
धर्मशास्त्र की इसी मान्यता के अनुसार, 14 तारीख को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। मोक्षदायिनी शिप्रा में पर्व स्नान होगा। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया, सूर्य के राशि परिवर्तन को सूर्य की संक्रांति कहा जाता है। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है।
सूर्य की मकर संक्रांति शुभ
- सूर्य सिद्धांत की मान्यता के अनुसार, 14 जनवरी मंगलवार को पुनर्वसु नक्षत्र, विषकुंभ योग एवं बालव करण तथा कर्क राशि के चंद्रमा की साक्षी में सूर्य देवता का धनु राशि को छोड़कर के मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
- मकर राशि में प्रवेश होते ही सूर्य की मकर संक्रांति कहलाएगी। यह समय सुबह 7.59 पर होगा। सूर्य के मकर में प्रवेश करते ही खरमास का समापन होगा तथा उत्तरायण का पक्ष आरंभ हो जाएगा।
- मांगलिक कार्य आरंभ होंगे। मकर संक्रांति का पर्व काल होने से यह स्नान, दान, तर्पण, पितरों के निमित्त श्रद्धा व्यक्त करने का दिवस है। इस दिन अन्नदान, वस्त्रदान करने का विशेष महत्व है।
- तांबा, चांदी अथवा सोने के कलश में काले तिल भरकर के दान करने का महत्व भी बताया गया है। इस दिन जल में काले तिल डालकर स्नान करने से गरीबी दूर होती है तथा रोग, दोष समाप्त होते हैं।
व्यापार में उतार चढ़ाव, भारत लाए जा सकते हैं वन्यप्राणी
शास्त्रीय गणना व सूर्य सिद्धांत में संक्रांति के शुभ अशुभ फल में वाहन का विशेष महत्व होता है। इस बार संक्रांति का वाहन व्याघ्र तथा उप वाहन अश्व रहेगा। व्याघ्र पर सवार होकर आ रही संक्रांति वन्य प्राणियों के लिए विशेष प्रभावी रहेगी। इससे बाघ व कूनों में चीतों की संख्या में वृद्धि होगी। अन्य देशों से नए वन्यप्राणी भारत लाए जा सकते हैं। प्राणियों के जीवन पर कुछ संकट की स्थिति भी बन सकती है।
व्रत त्यौहार
Vivah Muhurat 2025: कल से शुरू हो रहा खरमास, एक महीने तक नहीं होंगे विवाह…. नए साल में जून तक 40 दिन शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में मलमास या खरमास को बहुत मान्यता है। इस अवधि में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस दौरान ईश्वर की भक्ति की जाती है। सूर्य की स्थिति में बदलाव के कारण यह स्थिति बनती है। अभी 15 दिसंबर से मलमास की शुरुआत होगी, जो 14 जनवरी तक रहेगा।
Source link
व्रत त्यौहार
Dattatreya Jayanti 2024: मार्गशीर्ष मास की चतुर्दशी आज… अमृत सिद्धि योग में मनाया जा रहा भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव
देशभर में आज भगवान् दत्तात्रेय की पूजा की जा रही है। मान्यता है कि इस दिन भगवान का नाम जाप करने से कई तरह की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यह दिन इसलिए भी विशेष है क्योंकि आज अमृत सिद्धि योग और बुधादित्य योग बन रहे हैं।
By Arvind Dubey
Publish Date: Sat, 14 Dec 2024 08:25:53 AM (IST)
Updated Date: Sat, 14 Dec 2024 10:23:18 AM (IST)
HighLights
- मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी आज
- मनाया जा रहा भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव
- बुधादित्य योग में पूजा का मिलता है विशिष्ट फल
नईदुनिया, उज्जैन। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर 14 दिसंबर को अमृत सिद्धि योग में भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव मनाया जा रहा है। देशभर के प्रमुख मंदिरों में सुबह भगवान दत्तात्रेय का अभिषेक, पूजन व श्रृंगार के उपरांत शाम को गोधूलि बेला में महाआरती होगी।
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के दत्त मंदिरों में दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा की स्तुति गुंजायमान होगी। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया, पंचांग की गणना के अनुसार शनिवार के दिन रोहिणी नक्षत्र की साक्षी में आ रही दत्त जयंती विशिष्ट मानी जा रही है।
इस दिन अमृत सिद्धि योग
- भारतीय ज्योतिष शास्त्र में अमृत सिद्धि योग को अति महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। व्यावहारिक जीवन में यदि कोई समस्या आ रही है तो उस समस्या का निराकरण करने के लिए अमृत सिद्धि योग का संयोग विशिष्ट साधना उपासना की दृष्टि से श्रेष्ठ माना जाता है।
- इस दौरान रोग दोष की निवृत्ति के लिए भगवान् दत्तात्रेय के विशिष्ट पाठ और मंत्रों का उच्चारण करने से या जाप करने से व्याधियों का निराकरण होता है। बंधन, बाधा समाप्त होती है। विशिष्ट योग के अंतर्गत गुरु मार्ग के माध्यम से दत्त भगवान की साधना करनी चाहिए।
बुधादित्य योग का भी संयोग
पंचांग की गणना के अनुसार, दत्त जयंती पर अमृत सिद्धि योग तो है ही, मूल रूप से सूर्य बुध का वृश्चिक राशि में होकर के बुध आदित्य योग का निर्माण करना भी अपने आप में विशेष है।
महाकाल के समीप प्राचीन दत्त मंदिर
दत्तात्रेय जयंती पर महाकाल मंदिर के हाथी द्वार के समीप स्थित प्राचीन दत्त मंदिर में भगवान का प्राकट्योत्सव मनाया जाएगा। पुजारी संजय दिवटे ने बताया इस स्थान पर ओदुंबर (गुलर) के वृक्ष के नीचे वासुदेव सरस्वतीजी टेमरे स्वामीजी महाराज ने विश्राम किया था।
आज भी इस मंदिर में ओदुंबर का वह वृक्ष तथा स्वामीजी की चरण पादुका मौजूद है। दिवटे ने बताया टेमरे स्वामीजी महाराज भगवान दत्तात्रेय के अवतार माने जाते हैं। दत्त जयंती पर सुबह भगवान का अभिषेक पूजन होगा। शाम को गोधूलि बेला में महाआरती की गई।