व्रत त्यौहार
देशभर में प्रसिद्ध है गोदड़ीवाला धाम, पाकिस्तान के सिंध से भी आते हैं सिंधी समाज के भक्त
वैसे तो इस धाम में अनेक पर्व, त्योहार और आयोजन संपन्न होते हैं, लेकिन वर्ष में दो बार होने वाले संतों के बरसी महोत्सव में विशेष रौनक होती है। एक वर्ष में एक बार पाकिस्तान से लगभग 200 श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं।
By Shashank Shekhar Bajpai
Publish Date: Sat, 07 Dec 2024 11:57:13 AM (IST)
Updated Date: Sat, 07 Dec 2024 01:11:11 PM (IST)
HighLights
- संत बाबा गेलाराम का बरसी महोत्सव 10 दिसंबर को होगा।
- पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भी यहां दर्शन करे आते हैं श्रद्धालु।
- दरबार परिसर की पाठशाला में पढ़ते हैं 300 से ज्यादा छात्र।
श्रवण शर्मा, रायपुर। राजधानी के देवपुरी इलाके में सिंधी समाज का प्रसिद्ध गोदड़ीवाला धाम स्थित है। देशभर में सिंधी समाज के लाखों श्रद्धालुओं के लिए यह धाम तीर्थस्थल की तरह है। यहां सिंधी समाज के दो प्रसिद्ध संतों की प्रतिमा स्थापित है।
प्रतिमा के समक्ष मत्था टेकने और आशीर्वाद लेने के लिए देशभर के श्रद्धालुओं के अलावा पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहने वाले श्रद्धालु भी दर्शन करने आते हैं। वैसे तो इस धाम में अनेक पर्व, त्योहार और आयोजन संपन्न होते हैं, लेकिन वर्ष में दो बार होने वाले संतों के बरसी महोत्सव में विशेष रौनक होती है।
एक वर्ष में एक बार पाकिस्तान से लगभग 200 श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। ये श्रद्धालु शहर के गोदड़ीवाला धाम, शदाणी दरबार के दर्शन करने के साथ ही देशभर के तीर्थों के भी दर्शन करते हैं।
सेवा, परोपकार की मिसाल बने संत गेलाराम
गोदड़ीवाला धाम से संत बाबा गेलाराम ने घर-घर में सेवा, परोपकार की अलख जगाई। अनेक वर्षों तक सेवा कार्य के पश्चात 10 दिसंबर, 2008 को बाबा ब्रह्मलीन हुए। इसके बाद से हर वर्ष 10 दिसंबर को निर्वाण दिवस पर तीन दिवसीय भव्य आयोजन किया जाता है।
साथ ही 12 फरवरी को जन्मोत्सव पर भी तीन दिनों तक भक्ति, सत्संग, रक्तदान, निर्धनों को अनाज वितरण, सामूहिक जनेऊ, सामूहिक विवाह आदि आयोजनों की धूम मचती है।
दरबार परिसर में हिंदू धर्म के सभी जाति के लोगों के लिए पाठशाला संचालित की जा रही है। इस पाठशाला में 300 से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। साथ ही प्रत्येक माह की 12 तारीख को संत के जन्मोत्सव दिवस पर महाभंडारे में दो हजार से अधिक लोग भोजन ग्रहण करते हैं।
2009 में संत बाबा गेलाराम की प्रतिमा स्थापित
संत गेलाराम ने देशभर में सिंधी समाज के लोगों को प्रेम, सद्भावना, सेवा, परोपकार का संदेश दिया। 2008 में परलोकगमन के एक वर्ष बाद 2009 में समाज के लोगों ने संत की समाधि बनवाई और प्रतिमा की स्थापना की। धाम में पिछले 15 वर्ष से बरसी महोत्सव मनाया जा रहा है।
देशभर से सिंधी समाज के संत, महात्मा और श्रद्धालु शामिल होते हैं। अन्य शहरों से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने, भोजन की व्यवस्था गोदड़ीवाला धाम परिसर में की जाती है। धाम की महंत हैं अम्मा मीरादेवी गोदड़ीवाला धाम की महंत अम्मा मीरादेवी के सान्निध्य में सभी धार्मिक आयोजन संपन्न होते हैं।
जलगांव के महंत देवीदास, शदाणी दरबार के पीठाधीश्वर संत युधिष्ठिरलाल, चकरभाठा के संत सांई लालदास सहित अनेक संतों के मार्गदर्शन में हवन, झंडारोहण, बहिराणा साहिब की यात्रा, पल्लव साहिब आदि रस्म निभाई जाती है।
तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध गोदड़ी वाला धाम
ऐसी मान्यता है कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हयात पिताफी में संत शदाराम साहिब का धूनी स्थल है। इसी तरह संत बाबा गेलाराम की तपस्या स्थली गोदड़ी वाला धाम है। जो सिंधी समाज के लोगों के लिए प्रेरणादायी तीर्थ स्थल है। बाबा गेलाराम ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष इसी धाम में व्यतीत किया था।
धाम की सेवा में जुटे सेवादार
दरबार में गोदड़ीवाला सेवा मंडल एवं महिला मंडल के सदस्यों के अलावा दरबार के सेवादारी अमर गिदवानी, राम खूबचंदानी, हरी इसरानी. पवन प्रीतवानी, दिलीप इसरानी सहित 25 सेवादारी सेवा दे रहे हैं।
आठ से 10 दिसंबर तक बरसी महोत्सवगोदड़ीवाला धाम के सेवादारी अमर गिदवानी, पवन प्रीतवानी ने बताया कि संत बाबा गेलाराम का तीन दिवसीय बरसी महोत्सव 8 से 10 दिसंबर तक मनाया जाएगा। तीनों दिन निश्शुल्क स्वास्थ्य शिविर में थैलेसीमिया जांच एवं अन्य बीमारियों का परीक्षण किया जाएगा।
35 वर्ष पूर्व धाम की स्थापना
शहर के ह्दय स्थल जयस्तंभ चौक से लगभग सात किलोमीटर दूर धमतरी रोड पर देवपुरी गांव में 35 वर्ष पूर्व संत गेलाराम बाबा ने गोदड़ीवाला धाम की स्थापना की थी। पहले केवल संत हरदासराम बाबा का बरसी महोत्सव मनाया जाता था।
संत गेलाराम के ब्रह्मलीन होने के पश्चात उनका भी बरसी महोत्सव मनाने के साथ विविध संस्कारों का आयोजन होने लगा है। निश्शुल्क दवाखाना में प्रतिदिन 200 से अधिक मरीजों का इलाज होता है।
व्रत त्यौहार
Makar Sankranti 2025: सूर्य के उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को, सुबह 7 बजकर 59 मिनट पर मकर राशि में होगा प्रवेश
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार, सूर्य की मकर संक्रांति को शुभ माना जाता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण की ओर गमन करने लगते हैं। यह समय सकारात्मकता, धर्म, कर्म तथा मांगलिक कार्यों के लिए विशेष शुभ माना जाता है।
By Arvind Dubey
Publish Date: Tue, 17 Dec 2024 12:56:30 PM (IST)
Updated Date: Tue, 17 Dec 2024 01:02:37 PM (IST)
HighLights
- सूर्य के राशि परिवर्तन को सूर्य की संक्रांति कहा जाता है।
- पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
- सूर्य के मकर में प्रवेश करते ही खरमास का समापन होगा।
नईदुनिया, उज्जैन। सूर्य के उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन सुबह 7 बजकर 59 मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, जब सूर्य का प्रवेश दिन में हो या सुबह सूर्योदय के तीन मुहूर्त के आसपास हो, तो मकर संक्रांति का अनुक्रम बनता है।
धर्मशास्त्र की इसी मान्यता के अनुसार, 14 तारीख को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। मोक्षदायिनी शिप्रा में पर्व स्नान होगा। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया, सूर्य के राशि परिवर्तन को सूर्य की संक्रांति कहा जाता है। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है।
सूर्य की मकर संक्रांति शुभ
- सूर्य सिद्धांत की मान्यता के अनुसार, 14 जनवरी मंगलवार को पुनर्वसु नक्षत्र, विषकुंभ योग एवं बालव करण तथा कर्क राशि के चंद्रमा की साक्षी में सूर्य देवता का धनु राशि को छोड़कर के मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
- मकर राशि में प्रवेश होते ही सूर्य की मकर संक्रांति कहलाएगी। यह समय सुबह 7.59 पर होगा। सूर्य के मकर में प्रवेश करते ही खरमास का समापन होगा तथा उत्तरायण का पक्ष आरंभ हो जाएगा।
- मांगलिक कार्य आरंभ होंगे। मकर संक्रांति का पर्व काल होने से यह स्नान, दान, तर्पण, पितरों के निमित्त श्रद्धा व्यक्त करने का दिवस है। इस दिन अन्नदान, वस्त्रदान करने का विशेष महत्व है।
- तांबा, चांदी अथवा सोने के कलश में काले तिल भरकर के दान करने का महत्व भी बताया गया है। इस दिन जल में काले तिल डालकर स्नान करने से गरीबी दूर होती है तथा रोग, दोष समाप्त होते हैं।
व्यापार में उतार चढ़ाव, भारत लाए जा सकते हैं वन्यप्राणी
शास्त्रीय गणना व सूर्य सिद्धांत में संक्रांति के शुभ अशुभ फल में वाहन का विशेष महत्व होता है। इस बार संक्रांति का वाहन व्याघ्र तथा उप वाहन अश्व रहेगा। व्याघ्र पर सवार होकर आ रही संक्रांति वन्य प्राणियों के लिए विशेष प्रभावी रहेगी। इससे बाघ व कूनों में चीतों की संख्या में वृद्धि होगी। अन्य देशों से नए वन्यप्राणी भारत लाए जा सकते हैं। प्राणियों के जीवन पर कुछ संकट की स्थिति भी बन सकती है।
व्रत त्यौहार
Vivah Muhurat 2025: कल से शुरू हो रहा खरमास, एक महीने तक नहीं होंगे विवाह…. नए साल में जून तक 40 दिन शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में मलमास या खरमास को बहुत मान्यता है। इस अवधि में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस दौरान ईश्वर की भक्ति की जाती है। सूर्य की स्थिति में बदलाव के कारण यह स्थिति बनती है। अभी 15 दिसंबर से मलमास की शुरुआत होगी, जो 14 जनवरी तक रहेगा।
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Dattatreya Jayanti 2024: मार्गशीर्ष मास की चतुर्दशी आज… अमृत सिद्धि योग में मनाया जा रहा भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव
देशभर में आज भगवान् दत्तात्रेय की पूजा की जा रही है। मान्यता है कि इस दिन भगवान का नाम जाप करने से कई तरह की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यह दिन इसलिए भी विशेष है क्योंकि आज अमृत सिद्धि योग और बुधादित्य योग बन रहे हैं।
By Arvind Dubey
Publish Date: Sat, 14 Dec 2024 08:25:53 AM (IST)
Updated Date: Sat, 14 Dec 2024 10:23:18 AM (IST)
HighLights
- मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी आज
- मनाया जा रहा भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव
- बुधादित्य योग में पूजा का मिलता है विशिष्ट फल
नईदुनिया, उज्जैन। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर 14 दिसंबर को अमृत सिद्धि योग में भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव मनाया जा रहा है। देशभर के प्रमुख मंदिरों में सुबह भगवान दत्तात्रेय का अभिषेक, पूजन व श्रृंगार के उपरांत शाम को गोधूलि बेला में महाआरती होगी।
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के दत्त मंदिरों में दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा की स्तुति गुंजायमान होगी। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया, पंचांग की गणना के अनुसार शनिवार के दिन रोहिणी नक्षत्र की साक्षी में आ रही दत्त जयंती विशिष्ट मानी जा रही है।
इस दिन अमृत सिद्धि योग
- भारतीय ज्योतिष शास्त्र में अमृत सिद्धि योग को अति महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। व्यावहारिक जीवन में यदि कोई समस्या आ रही है तो उस समस्या का निराकरण करने के लिए अमृत सिद्धि योग का संयोग विशिष्ट साधना उपासना की दृष्टि से श्रेष्ठ माना जाता है।
- इस दौरान रोग दोष की निवृत्ति के लिए भगवान् दत्तात्रेय के विशिष्ट पाठ और मंत्रों का उच्चारण करने से या जाप करने से व्याधियों का निराकरण होता है। बंधन, बाधा समाप्त होती है। विशिष्ट योग के अंतर्गत गुरु मार्ग के माध्यम से दत्त भगवान की साधना करनी चाहिए।
बुधादित्य योग का भी संयोग
पंचांग की गणना के अनुसार, दत्त जयंती पर अमृत सिद्धि योग तो है ही, मूल रूप से सूर्य बुध का वृश्चिक राशि में होकर के बुध आदित्य योग का निर्माण करना भी अपने आप में विशेष है।
महाकाल के समीप प्राचीन दत्त मंदिर
दत्तात्रेय जयंती पर महाकाल मंदिर के हाथी द्वार के समीप स्थित प्राचीन दत्त मंदिर में भगवान का प्राकट्योत्सव मनाया जाएगा। पुजारी संजय दिवटे ने बताया इस स्थान पर ओदुंबर (गुलर) के वृक्ष के नीचे वासुदेव सरस्वतीजी टेमरे स्वामीजी महाराज ने विश्राम किया था।
आज भी इस मंदिर में ओदुंबर का वह वृक्ष तथा स्वामीजी की चरण पादुका मौजूद है। दिवटे ने बताया टेमरे स्वामीजी महाराज भगवान दत्तात्रेय के अवतार माने जाते हैं। दत्त जयंती पर सुबह भगवान का अभिषेक पूजन होगा। शाम को गोधूलि बेला में महाआरती की गई।