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व्रत त्यौहार

Bhai Dooj 2024: जानिये क्‍यों मनाया जाता है भाई दूज, यह है इसकी कहानी और महत्‍व

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हिंदू मान्यता के अनुसार, जो बहनें देवताओं की पूजा करती हैं और अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं, उनके भाइयों को सुख, दीर्घायु और स्वस्थ जीवन दिया जाता है।

By Navodit Saktawat

Publish Date: Fri, 05 Nov 2021 04:08:49 PM (IST)

Updated Date: Fri, 01 Nov 2024 11:58:29 AM (IST)

Bhai Dooj 2024: जानिये क्‍यों मनाया जाता है भाई दूज, यह है इसकी कहानी और महत्‍व

धर्म डेस्क, इंदौर (Bhai Dooj 2024): भाई दूज का पर्व दीपावली के तीसरे दिन आता है। यह रक्षा बंधन के बाद महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह दिन भाइयों और बहनों के बंधन को मनाता है और मजबूत करता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, समृद्धि और खुशहाली की कामना करती हैं। इसके अलावा, वे तब तक उपवास रखती हैं, जब तक वे अपने भाई के माथे पर तिलक नहीं लगातीं।

यह दिन हिंदू कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष के दूसरे चंद्र दिवस पर पड़ता है। देश के दक्षिणी भाग में इस दिन को यम द्वितीया के रूप में मनाया जाता है। कायस्थ समुदाय में, दो भाई दूज मनाए जाते हैं। सबसे ज्यादा मशहूर दीवाली के बाद दूसरे दिन आता है। लेकिन कम प्रसिद्ध दीवाली के एक या दो दिन बाद मनाया जाता है। साथ ही इस दिन वे भगवान चित्रगुप्त की पूजा करते हैं और कलम दावत पूजा करते हैं।

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भाई दूज 2024: तारीख

यह दिन दिवाली महोत्सव के पांचवें दिन मनाया जाता है। इस साल यह 2 नवंबर 2024 यानी शनिवार को मनाया जाएगा।

भाई दूज 2024: कथा और इतिहास

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, राक्षस नरकासुर को मारने के बाद, भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए, जिन्होंने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने भगवान कृष्ण के माथे पर तिलक भी लगाया और तब से यह दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। एक और कहानी मृत्यु के देवता यम के इर्द-गिर्द घूमती है।

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हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मृत्यु के देवता यम ने इस दिन अपनी प्यारी बहन यमुना से मुलाकात की थी। अपनी बहन से स्वागत करने के बाद, यम ने घोषणा की कि जो कोई भी इस दिन अपनी बहन से तिलक प्राप्त करेगा, उसे लंबी आयु और समृद्धि प्रदान की जाएगी।

हिंदू ग्रंथों के अनुसार, यम द्वितीया पर अपनी प्यारी बहन यमुना से मिलने गए थे। देवी यमुना ने अपने भाई का तिलक और माला पहनाकर स्वागत किया। उन्होंने लंबे समय के बाद एक साथ भोजन किया और उपहारों का आदान-प्रदान किया। अपनी बहन से गर्मजोशी से स्वागत करने के बाद, यम ने घोषणा की कि जो कोई भी इस दिन अपनी बहन से तिलक प्राप्त करेगा, उसे लंबी आयु और समृद्धि प्रदान की जाएगी।



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Makar Sankranti 2025: सूर्य के उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को, सुबह 7 बजकर 59 मिनट पर मकर राशि में होगा प्रवेश

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ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार, सूर्य की मकर संक्रांति को शुभ माना जाता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण की ओर गमन करने लगते हैं। यह समय सकारात्मकता, धर्म, कर्म तथा मांगलिक कार्यों के लिए विशेष शुभ माना जाता है।

By Arvind Dubey

Publish Date: Tue, 17 Dec 2024 12:56:30 PM (IST)

Updated Date: Tue, 17 Dec 2024 01:02:37 PM (IST)

Makar Sankranti 2025: सूर्य के उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को, सुबह 7 बजकर 59 मिनट पर मकर राशि में होगा प्रवेश
मकर संक्रांति से मांगलिक कार्य आरंभ होंगे।

HighLights

  1. सूर्य के राशि परिवर्तन को सूर्य की संक्रांति कहा जाता है।
  2. पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
  3. सूर्य के मकर में प्रवेश करते ही खरमास का समापन होगा।

नईदुनिया, उज्जैन। सूर्य के उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन सुबह 7 बजकर 59 मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, जब सूर्य का प्रवेश दिन में हो या सुबह सूर्योदय के तीन मुहूर्त के आसपास हो, तो मकर संक्रांति का अनुक्रम बनता है।

धर्मशास्त्र की इसी मान्यता के अनुसार, 14 तारीख को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। मोक्षदायिनी शिप्रा में पर्व स्नान होगा। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया, सूर्य के राशि परिवर्तन को सूर्य की संक्रांति कहा जाता है। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है।

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सूर्य की मकर संक्रांति शुभ

  • सूर्य सिद्धांत की मान्यता के अनुसार, 14 जनवरी मंगलवार को पुनर्वसु नक्षत्र, विषकुंभ योग एवं बालव करण तथा कर्क राशि के चंद्रमा की साक्षी में सूर्य देवता का धनु राशि को छोड़कर के मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
  • मकर राशि में प्रवेश होते ही सूर्य की मकर संक्रांति कहलाएगी। यह समय सुबह 7.59 पर होगा। सूर्य के मकर में प्रवेश करते ही खरमास का समापन होगा तथा उत्तरायण का पक्ष आरंभ हो जाएगा।
  • मांगलिक कार्य आरंभ होंगे। मकर संक्रांति का पर्व काल होने से यह स्नान, दान, तर्पण, पितरों के निमित्त श्रद्धा व्यक्त करने का दिवस है। इस दिन अन्नदान, वस्त्रदान करने का विशेष महत्व है।
  • तांबा, चांदी अथवा सोने के कलश में काले तिल भरकर के दान करने का महत्व भी बताया गया है। इस दिन जल में काले तिल डालकर स्नान करने से गरीबी दूर होती है तथा रोग, दोष समाप्त होते हैं।

व्यापार में उतार चढ़ाव, भारत लाए जा सकते हैं वन्यप्राणी

शास्त्रीय गणना व सूर्य सिद्धांत में संक्रांति के शुभ अशुभ फल में वाहन का विशेष महत्व होता है। इस बार संक्रांति का वाहन व्याघ्र तथा उप वाहन अश्व रहेगा। व्याघ्र पर सवार होकर आ रही संक्रांति वन्य प्राणियों के लिए विशेष प्रभावी रहेगी। इससे बाघ व कूनों में चीतों की संख्या में वृद्धि होगी। अन्य देशों से नए वन्यप्राणी भारत लाए जा सकते हैं। प्राणियों के जीवन पर कुछ संकट की स्थिति भी बन सकती है।



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Vivah Muhurat 2025: कल से शुरू हो रहा खरमास, एक महीने तक नहीं होंगे विवाह…. नए साल में जून तक 40 दिन शुभ मुहूर्त

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हिंदू धर्म में मलमास या खरमास को बहुत मान्यता है। इस अवधि में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस दौरान ईश्वर की भक्ति की जाती है। सूर्य की स्थिति में बदलाव के कारण यह स्थिति बनती है। अभी 15 दिसंबर से मलमास की शुरुआत होगी, जो 14 जनवरी तक रहेगा।



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Dattatreya Jayanti 2024: मार्गशीर्ष मास की चतुर्दशी आज… अमृत सिद्धि योग में मनाया जा रहा भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव

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देशभर में आज भगवान् दत्तात्रेय की पूजा की जा रही है। मान्यता है कि इस दिन भगवान का नाम जाप करने से कई तरह की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यह दिन इसलिए भी विशेष है क्योंकि आज अमृत सिद्धि योग और बुधादित्य योग बन रहे हैं।

By Arvind Dubey

Publish Date: Sat, 14 Dec 2024 08:25:53 AM (IST)

Updated Date: Sat, 14 Dec 2024 10:23:18 AM (IST)

Dattatreya Jayanti 2024: मार्गशीर्ष मास की चतुर्दशी आज… अमृत सिद्धि योग में मनाया जा रहा भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव
शनिवार के दिन रोहिणी नक्षत्र में दत्त जयंती का ज्योतिष में विशेष महत्व बताया गया है। (फाइल फोटो)

HighLights

  1. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी आज
  2. मनाया जा रहा भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव
  3. बुधादित्य योग में पूजा का मिलता है विशिष्ट फल

नईदुनिया, उज्जैन। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर 14 दिसंबर को अमृत सिद्धि योग में भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव मनाया जा रहा है। देशभर के प्रमुख मंदिरों में सुबह भगवान दत्तात्रेय का अभिषेक, पूजन व श्रृंगार के उपरांत शाम को गोधूलि बेला में महाआरती होगी।

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के दत्त मंदिरों में दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा की स्तुति गुंजायमान होगी। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया, पंचांग की गणना के अनुसार शनिवार के दिन रोहिणी नक्षत्र की साक्षी में आ रही दत्त जयंती विशिष्ट मानी जा रही है।

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इस दिन अमृत सिद्धि योग

  • भारतीय ज्योतिष शास्त्र में अमृत सिद्धि योग को अति महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। व्यावहारिक जीवन में यदि कोई समस्या आ रही है तो उस समस्या का निराकरण करने के लिए अमृत सिद्धि योग का संयोग विशिष्ट साधना उपासना की दृष्टि से श्रेष्ठ माना जाता है।
  • इस दौरान रोग दोष की निवृत्ति के लिए भगवान् दत्तात्रेय के विशिष्ट पाठ और मंत्रों का उच्चारण करने से या जाप करने से व्याधियों का निराकरण होता है। बंधन, बाधा समाप्त होती है। विशिष्ट योग के अंतर्गत गुरु मार्ग के माध्यम से दत्त भगवान की साधना करनी चाहिए।

बुधादित्य योग का भी संयोग

पंचांग की गणना के अनुसार, दत्त जयंती पर अमृत सिद्धि योग तो है ही, मूल रूप से सूर्य बुध का वृश्चिक राशि में होकर के बुध आदित्य योग का निर्माण करना भी अपने आप में विशेष है।

महाकाल के समीप प्राचीन दत्त मंदिर

दत्तात्रेय जयंती पर महाकाल मंदिर के हाथी द्वार के समीप स्थित प्राचीन दत्त मंदिर में भगवान का प्राकट्योत्सव मनाया जाएगा। पुजारी संजय दिवटे ने बताया इस स्थान पर ओदुंबर (गुलर) के वृक्ष के नीचे वासुदेव सरस्वतीजी टेमरे स्वामीजी महाराज ने विश्राम किया था।

आज भी इस मंदिर में ओदुंबर का वह वृक्ष तथा स्वामीजी की चरण पादुका मौजूद है। दिवटे ने बताया टेमरे स्वामीजी महाराज भगवान दत्तात्रेय के अवतार माने जाते हैं। दत्त जयंती पर सुबह भगवान का अभिषेक पूजन होगा। शाम को गोधूलि बेला में महाआरती की गई।

यहां भी क्लिक करें – पौष मास की शुरुआत 16 दिसंबर से… ग्रहों के राजा सूर्य की आराधना से हर रुका काम पूरा होगा



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