व्रत त्यौहार
Bhai Dooj 2024: भैया दूज पर सौभाग्य और शोभन योग में बहनों ने भाई को लगाया तिलक
दीपावली के पांच दिवसीय पर्व का समापन भाई दूज के साथ होगा, जहां बहनें सौभाग्य और शोभन योग में अपने भाइयों का तिलक कर उनकी लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करेंगी। शास्त्रों के अनुसार, यमराज ने द्वितीया तिथि पर अपनी बहन यमुना से मिलने का आशीर्वाद दिया था, जिससे भाई दूज की परंपरा का जन्म हुआ। इस बार भाई दूज पर विशेष योग का संयोग बना है।
By Shravan Kumar Sharma
Publish Date: Sun, 03 Nov 2024 07:50:49 AM (IST)
Updated Date: Mon, 04 Nov 2024 07:18:33 AM (IST)
HighLights
- भाई दूज के साथ आज समाप्त होगा पांच दिवसीय दीपावली पर्व।
- कार्तिक द्वितीया तिथि पर यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे
- भाई दूज पर बहनें भाई की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करेंगी।
नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर। पांच दिनों से मनाए जा रहे दीपावली पर्व का समापन रविवार को भाई दूज मनाने के साथ होगा। सौभाग्य और शोभन योग के संयोग में बहनें, अपने भाइयों के ललाट पर तिलक लगाकर भाई की सुख, समृद्धि की प्रार्थना करेंगी। भाई भी अपनी बहन की रक्षा करने और सुख, दुख में हमेशा साथ देने का वचन देंगे।
शास्त्रों में उल्लेखित है कि यमुना अपने भाई यमराज के घर आने का वर्षों तक इंतजार करतीं रहीं। कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि पर यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने पहुंचे। भाई यमराज को घर आया देखकर यमुना प्रसन्न हुई। यमुना ने अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर स्वागत किया।
यमराज ने वरदान दिया कि यदि कोई भी भाई द्वितीया तिथि पर अपनी बहन से मिलने उसके घर जाए तो उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। इस दिन यमुना नदी में भाई-बहन एक साथ स्नान करने डुबकी लगाएं तो उनकी मनोकामना पूरी होगी।
सौभाग्य और शोभन योग आज
ज्योतिषाचार्य डा.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार 3 नवंबर को यम द्वितीया मनाई जाएगी। इसे भाई दूज भी कहा जाता है। रविवार को शनि प्रधान अनुराधा नक्षत्र और सौभाग्य तथा शोभन योग होने से भाई को प्रधान दीर्घायु का वरदान प्राप्त होगा और संबंध मधुर होंगे। ह
म सभी अवगत हैं कि शनि और यम भाई हैं और यमुना इनकी बहन है। शास्त्रों में वर्णित है कि इस दिन यम अपनी बहन यमुना से मिलने यमुना के तट पर आते है। यम का वरदान भी है कि इस दिन यमुना में स्नान करने से वे दीर्घायु प्रदान करेंगे। इस तरह यह भी दीर्घायु प्रदान करने वाला लक्ष्मी कारक दिन है।
टीका लगाने का शुभ मुहूर्त
सुबह : 7.09 से 9.24 बजे तक
दोपहर : 1.18 से 2.52 बजे तक
शाम : 6.06 से 8.06 बजे तक
ऐसे लगाएं तिलक
– पूजा की थाली में सिंदूर, चंदन, फल, फूल, मिठाई और सुपारी रखें। – चावल से चौक बनाएं।
– भाई को तिलक लगाकर फल, सुपारी, चीन, पान पत्ता, काला चना देकर आरती उतारें।
– भाई, अपनी बहन के घर जाकर तिलक लगवाएं। इस दिन बहन, अपने भाई को भोजन कराएं।
व्रत त्यौहार
Makar Sankranti 2025: सूर्य के उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को, सुबह 7 बजकर 59 मिनट पर मकर राशि में होगा प्रवेश
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार, सूर्य की मकर संक्रांति को शुभ माना जाता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण की ओर गमन करने लगते हैं। यह समय सकारात्मकता, धर्म, कर्म तथा मांगलिक कार्यों के लिए विशेष शुभ माना जाता है।
By Arvind Dubey
Publish Date: Tue, 17 Dec 2024 12:56:30 PM (IST)
Updated Date: Tue, 17 Dec 2024 01:02:37 PM (IST)
HighLights
- सूर्य के राशि परिवर्तन को सूर्य की संक्रांति कहा जाता है।
- पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
- सूर्य के मकर में प्रवेश करते ही खरमास का समापन होगा।
नईदुनिया, उज्जैन। सूर्य के उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन सुबह 7 बजकर 59 मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, जब सूर्य का प्रवेश दिन में हो या सुबह सूर्योदय के तीन मुहूर्त के आसपास हो, तो मकर संक्रांति का अनुक्रम बनता है।
धर्मशास्त्र की इसी मान्यता के अनुसार, 14 तारीख को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। मोक्षदायिनी शिप्रा में पर्व स्नान होगा। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया, सूर्य के राशि परिवर्तन को सूर्य की संक्रांति कहा जाता है। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है।
सूर्य की मकर संक्रांति शुभ
- सूर्य सिद्धांत की मान्यता के अनुसार, 14 जनवरी मंगलवार को पुनर्वसु नक्षत्र, विषकुंभ योग एवं बालव करण तथा कर्क राशि के चंद्रमा की साक्षी में सूर्य देवता का धनु राशि को छोड़कर के मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
- मकर राशि में प्रवेश होते ही सूर्य की मकर संक्रांति कहलाएगी। यह समय सुबह 7.59 पर होगा। सूर्य के मकर में प्रवेश करते ही खरमास का समापन होगा तथा उत्तरायण का पक्ष आरंभ हो जाएगा।
- मांगलिक कार्य आरंभ होंगे। मकर संक्रांति का पर्व काल होने से यह स्नान, दान, तर्पण, पितरों के निमित्त श्रद्धा व्यक्त करने का दिवस है। इस दिन अन्नदान, वस्त्रदान करने का विशेष महत्व है।
- तांबा, चांदी अथवा सोने के कलश में काले तिल भरकर के दान करने का महत्व भी बताया गया है। इस दिन जल में काले तिल डालकर स्नान करने से गरीबी दूर होती है तथा रोग, दोष समाप्त होते हैं।
व्यापार में उतार चढ़ाव, भारत लाए जा सकते हैं वन्यप्राणी
शास्त्रीय गणना व सूर्य सिद्धांत में संक्रांति के शुभ अशुभ फल में वाहन का विशेष महत्व होता है। इस बार संक्रांति का वाहन व्याघ्र तथा उप वाहन अश्व रहेगा। व्याघ्र पर सवार होकर आ रही संक्रांति वन्य प्राणियों के लिए विशेष प्रभावी रहेगी। इससे बाघ व कूनों में चीतों की संख्या में वृद्धि होगी। अन्य देशों से नए वन्यप्राणी भारत लाए जा सकते हैं। प्राणियों के जीवन पर कुछ संकट की स्थिति भी बन सकती है।
व्रत त्यौहार
Vivah Muhurat 2025: कल से शुरू हो रहा खरमास, एक महीने तक नहीं होंगे विवाह…. नए साल में जून तक 40 दिन शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में मलमास या खरमास को बहुत मान्यता है। इस अवधि में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस दौरान ईश्वर की भक्ति की जाती है। सूर्य की स्थिति में बदलाव के कारण यह स्थिति बनती है। अभी 15 दिसंबर से मलमास की शुरुआत होगी, जो 14 जनवरी तक रहेगा।
Source link
व्रत त्यौहार
Dattatreya Jayanti 2024: मार्गशीर्ष मास की चतुर्दशी आज… अमृत सिद्धि योग में मनाया जा रहा भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव
देशभर में आज भगवान् दत्तात्रेय की पूजा की जा रही है। मान्यता है कि इस दिन भगवान का नाम जाप करने से कई तरह की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यह दिन इसलिए भी विशेष है क्योंकि आज अमृत सिद्धि योग और बुधादित्य योग बन रहे हैं।
By Arvind Dubey
Publish Date: Sat, 14 Dec 2024 08:25:53 AM (IST)
Updated Date: Sat, 14 Dec 2024 10:23:18 AM (IST)
HighLights
- मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी आज
- मनाया जा रहा भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव
- बुधादित्य योग में पूजा का मिलता है विशिष्ट फल
नईदुनिया, उज्जैन। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर 14 दिसंबर को अमृत सिद्धि योग में भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव मनाया जा रहा है। देशभर के प्रमुख मंदिरों में सुबह भगवान दत्तात्रेय का अभिषेक, पूजन व श्रृंगार के उपरांत शाम को गोधूलि बेला में महाआरती होगी।
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के दत्त मंदिरों में दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा की स्तुति गुंजायमान होगी। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया, पंचांग की गणना के अनुसार शनिवार के दिन रोहिणी नक्षत्र की साक्षी में आ रही दत्त जयंती विशिष्ट मानी जा रही है।
इस दिन अमृत सिद्धि योग
- भारतीय ज्योतिष शास्त्र में अमृत सिद्धि योग को अति महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। व्यावहारिक जीवन में यदि कोई समस्या आ रही है तो उस समस्या का निराकरण करने के लिए अमृत सिद्धि योग का संयोग विशिष्ट साधना उपासना की दृष्टि से श्रेष्ठ माना जाता है।
- इस दौरान रोग दोष की निवृत्ति के लिए भगवान् दत्तात्रेय के विशिष्ट पाठ और मंत्रों का उच्चारण करने से या जाप करने से व्याधियों का निराकरण होता है। बंधन, बाधा समाप्त होती है। विशिष्ट योग के अंतर्गत गुरु मार्ग के माध्यम से दत्त भगवान की साधना करनी चाहिए।
बुधादित्य योग का भी संयोग
पंचांग की गणना के अनुसार, दत्त जयंती पर अमृत सिद्धि योग तो है ही, मूल रूप से सूर्य बुध का वृश्चिक राशि में होकर के बुध आदित्य योग का निर्माण करना भी अपने आप में विशेष है।
महाकाल के समीप प्राचीन दत्त मंदिर
दत्तात्रेय जयंती पर महाकाल मंदिर के हाथी द्वार के समीप स्थित प्राचीन दत्त मंदिर में भगवान का प्राकट्योत्सव मनाया जाएगा। पुजारी संजय दिवटे ने बताया इस स्थान पर ओदुंबर (गुलर) के वृक्ष के नीचे वासुदेव सरस्वतीजी टेमरे स्वामीजी महाराज ने विश्राम किया था।
आज भी इस मंदिर में ओदुंबर का वह वृक्ष तथा स्वामीजी की चरण पादुका मौजूद है। दिवटे ने बताया टेमरे स्वामीजी महाराज भगवान दत्तात्रेय के अवतार माने जाते हैं। दत्त जयंती पर सुबह भगवान का अभिषेक पूजन होगा। शाम को गोधूलि बेला में महाआरती की गई।