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‘अरेबियन गल्फ कप’ के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि बने पीएम मोदी, जानें कुवैत में कैसा रहा उनका पहला दिन

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PM Narendra Modi became the chief guest at the opening ceremony of Arabian Gulf Cup in kuwait

Image Source : PTI
‘गल्फ कप’ के उद्घाटन समारोह में पहुंचे पीएम मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी शनिवार को अपनी कुवैत की दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचे। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी जाबेर अल अहमद अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में 26वें ‘अरेबियन गल्फ कप’ के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। इससे पहले शहर के शेख साद अल-अब्दुल्ला इंडोर स्पोर्ट कॉम्प्लेक्स में एक विशेष कार्यक्रम ‘हला मोदी’ में भारतीय समुदाय के एक बड़े समूह को पीएम मोदी ने संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने वैश्विक विकास में प्रवासी भारतीय समुदाय के योगदान की प्रशंसा की और कहा कि भारत में विश्व की कौशल राजधानी बनने की क्षमता है। 

पीएम मोदी ने भारतीयों को किया संबोधित

पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हर साल सैकड़ों भारतीय कुवैत आते हैं। कुवैत के शीर्ष नेतृत्व से बात करने पर वह भारतीय लोगों की प्रशंसा करते हैं। उन्होंने भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा कि आपने कुवैत के कैनवस में भारतीय कौशल के रंगों को भर दिया है। आपने कुवैत में भारत की प्रतिभा, तकनीक और परंपरा का सार मिला दिया है। उन्होंने इस दौरान कहा कि 43 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री कुवैत आया है। मैं सिर्फ आपसे मिलने नहीं बल्कि आपकी उपलब्धियों को सेलिब्रेट करने आया हूं। पीएम मोदी ने इससे पहले भारतीय कामगारों से गल्फ स्पिक लेबर कैंप में मुलाकात की और उनके साथ नाश्ता भी किया।

भारतीय मजदूरों से पीएम मोदी ने की मुलाकात

दरअसल पीएम मोदी अपना दो दिवसीय कुवैत यात्रा के पहले दिन गल्फ स्पिक लेबर कैंप पहुंचे। यहां उन्होंने भारतीय कामगारों से मुलाकात की। इस दौरान पीएम मोदी ने कामगारों के साथ नाश्ता किया। पीएम मोदी ने कुवैत शहर में रामायण और महाभारत का अरबी भाषा में अनुवाद करने वाले अनुवादक अब्दुल्ला बैरन और प्रकाशक अब्दुल लतीफ से भी मुलाकात की। पीएम मोदी ने से मुलाकात के बाद अब्दुल लतीफ ने कहा कि प्रधानमंत्री से मिलना उनके लिए सम्मान की बात है। उन्होंने कहा कि ये किताबें बेहद महत्वपूर्ण है। इस दौरान पीएण मोदी ने 101 वर्षीय पूर्व आईएफएस अधिकारी मंगल सेन हांडा से भी मुलाकात की।

पीएम मोदी बोले- दोनों देश एक दूसरे के मददगार

पीएम मोदी ने यहां भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत दुनिया के उन पहले देशों में से एक है, जिसने स्वतंत्रता के बाद कुवैत को मान्यता दी थी। जिस देश और समाज से इतनी सारी यादें और हमारा वर्तमान जुड़ा है। वहां आना मेरे लिए बहुत यादगार है। मैं कुवैत के लोगों और यहां की सरकार का आभारी हूं। मैं यहां के शासक को विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं। उन्होंने इस दौरान कहा कि भारत और कुवैत के नागरिकों ने दुख व संकट के समय हमेशा एक दूसरे की मदद की है। कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों ने हर स्तर पर एक दूसरे की मदद की है।

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श्मशान में हिंदू पुजारी की हत्या पर बांग्लादेश ने दी सफाई, कहा-सांप्रदायिक हिंसा से नहीं हुई मौत

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मोहम्मद यूनुस, अंतरिम सरकार के मुखिया।

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मोहम्मद यूनुस, अंतरिम सरकार के मुखिया।

ढाका: बांग्लादेश के श्मशान घाट में हिंदू पुजारी की हत्या को लेकर अंतरिम सरकार की ओर से सफाई पेश की गई है। मोहम्मद यूनुस सरकार का कहना है कि पुजारी की मौत सांप्रदायिक हिंसा में नहीं हुई है।बांग्लादेश सरकार की मीडिया शाखा ने रविवार को कहा कि देश में हाल ही में मारा गया व्यक्ति हिंदू पुजारी नहीं था और उसकी मौत सांप्रदायिक हिंसा से नहीं बल्कि श्मशान घाट में चोरी से जुड़ी थी।

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के एक व्यक्ति की कथित हत्या के संबंध में इस्कॉन कोलकाता द्वारा किए गए दावों को खारिज करते हुए, ‘चीफ एडवाइजर्स प्रेस विंग फैक्ट्स’ के आधिकारिक फेसबुक पेज ने इस्कॉन बांग्लादेश के अधिकारियों और नाटोर पुलिस से मिली जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि यह हत्या संभवतः डकैती के प्रयास के कारण हुई। यह स्पष्टीकरण इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता राधारमण दास द्वारा सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक वीडियो साझा करने के एक दिन बाद आया। इसमें दावा किया गया था कि बांग्लादेश के नाटोर में एक श्मशान घाट पर स्थित मंदिर में “तरुण कुमार दास नामक एक हिंदू पुजारी की चरमपंथियों द्वारा हत्या कर दी गई”। ‘

कथित तौर पर पीड़ित का हाथ-पैर बांध कर शव को दफनाते देखा गया था

कथित तौर पर पीड़ित के हाथ-पैर बंधे हुए शव को एक वीडियो में दिखाया गया था। दास ने आरोप लगाया कि पुजारी को मारने से पहले उसे प्रताड़ित किया गया और मंदिर में लूटपाट की गई। नाटोर सदर पुलिस थाने के प्रभारी मोहम्मद महबूबोर रहमान के हवाले से सीए प्रेस विंग की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “शनिवार और रविवार की सुबह के बीच मिली जानकारी के आधार पर प्रारंभिक तौर पर यह माना जाता है कि कुछ नशेड़ियों ने श्मशान घाट से चोरी करने का प्रयास किया था। सभी संभावित कारणों की जांच की जा रही है।”  (भाषा)

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गाजा में इजरायल के भीषण हवाई हमले में 16 लोगों की मौत, सर्दी भी ढा रही कहर

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गाजा में इजरायली मिसाइलों ने बरपाया कहर।

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गाजा में इजरायली मिसाइलों ने बरपाया कहर।

दीर अल-बला (गाजा पट्टी): गाजा पट्टी में इजरायल के भीषण हवाई हमलों में कम से कम 16 लोग मारे गए हैं। फिलिस्तीनी चिकित्सा अधिकारियों ने यह जानकारी दी। हमास सरकार से संबद्ध ‘सिविल डिफेंस’ के अनुसार, गाजा शहर में विस्थापितों को आश्रय देने वाले एक स्कूल पर हुए हमले में कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 4 बच्चे भी शामिल हैं। इजरायली सेना ने कहा कि उसने वहां शरण लिए हमास आतंकवादियों को निशाना बनाया। ‘

अल-अक्सा शहीद’ अस्पताल के अनुसार, शनिवार देर रात दीर अल-बला में एक घर पर हुए हमले में कम से कम 8 लोग मारे गए। अस्पताल के पास स्थित नासिर अस्पताल के अनुसार, रविवार को आधी रात के बाद दक्षिणी शहर खान यूनिस में हुए हमले में 2 और लोग मारे गए। इन हमलों पर सेना की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं आई है।

गाजा में सर्दी का कहर

इजरायली मिसाइलों के अलावा सर्दी भी फिलिस्तीनियों पर कहर ढाने लगी है। गाजा में इन दिनों भीषण सर्दी पड़ रही है। इजरायल से 14 महीने से जारी युद्ध के कारण विस्थापित हुए लगभग 20 लाख लोगों में से कई लोग खुद को हवा, ठंड और बारिश से बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सहायता कर्मियों और निवासियों के अनुसार लोगों के पास कंबलों और गर्म कपड़ों की कमी है, अलाव के लिए लकड़ी बहुत कम है और जिन तंबुओं व तिरपालों में परिवार रह रहे हैं, वे महीनों से जारी उपयोग के कारण बहुत ही खस्ताहाल हो गए हैं। दक्षिणी शहर रफह से विस्थापित हुईं शादिया अयादा के पास अपने आठ बच्चों को खस्ताहाल तंबू के अंदर ठंड से बचाने के लिए केवल एक कंबल और एक गर्म पानी की बोतल है।

तेज हवा में लगता है डर

शादिया ने कहा, “जब भी हमें पता चलता है कि बारिश और तेज हवा का पूर्वानुमान है, तो हम डर जाते हैं क्योंकि हमारे तंबू हवा से उड़ जाते हैं।” रात के समय तापमान आम तौर पर पांच से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, इसलिए अयादा को डर है कि उनके बच्चे गर्म कपड़ों के बिना बीमार पड़ जाएंगे। अयादा ने कहा कि जब वे अपना घर छोड़कर आए थे, तो उनके बच्चों के पास केवल गर्मियों के कपड़े थे। उन्होंने कहा कि उन्हें रिश्तेदारों और दोस्तों से कुछ गर्म कपड़े उधार लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। उत्तरी गाजा से अपने परिवार के साथ विस्थापित हुईं 50 वर्षीय रिदा अबू जरादा ने बताया कि लोग तंबू के अंदर बच्चों को गोद में लेकर सोते हैं। ताकि उन्हें गर्म रखा जा सके।

उन्होंने कहा, “दरवाजे न होने और तंबू फटे होने के कारण रात में चूहे हमारे ऊपर चलते हैं। कंबल हमें गर्म नहीं रख पाते। हमें ऐसा लगता है कि जमीन पर बर्फ पड़ी हो। हम सुबह ठंड से ठिठुरते हुए उठते हैं।” उन्होंने कहा, “मुझे डर है कि एक दिन मैं जागूं‍गी और पाऊंगी कि कोई बच्चा ठंड से मर गया है।” संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अस्थायी आश्रयों में रह रहे लोग शायद सर्दियों में जीवित न रह पाएं। संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को कहा था कि कम से कम 9,45,000 लोगों को सर्दी से जुड़े सामान की आवश्यकता है, जो गाजा में बहुत महंगे हो गए हैं। (एपी) 

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ताइवान की मदद पर चीन ने बाइडेन को दी चेतावनी, कहा-“आग से खेल रहा अमेरिका”

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के समकक्ष शी जिनपिंग (फाइल)

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के समकक्ष शी जिनपिंग (फाइल)

बीजिंग: ताइवान को चीने के खिलाफ अमेरिका की ओर से लगातार सैन्य मदद पहुंचाए जाने की घटना को बीजिंग ले बेहद गंभीरता से लिया है। चीन ने इस बाबत अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को बड़ी चेतावनी दे डाली है। चीन ने साफ कहा है कि ताइवान को सैन्य मदद करके अमेरिका आग से खेल रहा है। चीन का यह कड़ा संदेश अपने आप में बहुत कुछ कहता है। चीन के इस बयान के बाद अमेरिका के साथ एक बार फिर तनातनी बढ़ने लगी है।

बता दें कि चीन सरकार ने अमेरिका की ओर से ताइवान को सैन्य बिक्री और सहयोग देने की नयी घोषणाएं किए जाने के बाद रविवार को विरोध जताया और अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा कि वह ‘‘आग से खेल रहा है।’’ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शनिवार को रक्षा से जुड़े साजो सामान और सेवाओं तथा ताइवान के लिए सैन्य शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए 57 करोड़ 10 लाख डॉलर तक के प्रावधान को मंजूरी दी। इसके अलावा रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि सैन्य बिक्री के लिए 29 करोड़ 50 लाख अमरेकी डॉलर की मंजूरी दी गई है।

ताइवान को हथियार देना बंद करे अमेरिका

चीनी विदेश मंत्रालय के एक बयान में अमेरिका से ताइवान को हथियार देना बंद करने और ‘‘ताइवान जलडमरूमध्य में शांति एवं स्थिरता को कमजोर करने वाले खतरनाक कदम’’ को रोकने का आग्रह किया गया। ताइवान एक लोकतांत्रिक द्वीप है जिस पर चीन सरकार अपना दावा करती है। अमेरिकी सैन्य बिक्री और सहायता का उद्देश्य ताइवान को खुद की रक्षा करने और चीन को हमला करने से रोकना है। , 22 दिसंबर (एपी)

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