नैनीताल: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने शुक्रवार, 27 जून 2025 को पंचायत चुनाव पर लगी रोक को हटा दिया, जिससे धामी सरकार को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह तीन सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए संवैधानिक और आरक्षण संबंधी मुद्दों का जवाब दाखिल करे। इस फैसले के बाद अब उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया जल्द ही नए सिरे से शुरू होने की संभावना है।
पृष्ठभूमि और कोर्ट का फैसला
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, और जिला पंचायत) की प्रक्रिया को लेकर पहले से ही कई महीनों की देरी हो चुकी थी। राज्य निर्वाचन आयोग ने 10 और 15 जुलाई 2025 को दो चरणों में मतदान और 19 जुलाई को मतगणना की तारीखें घोषित की थीं। हालांकि, 23 जून 2025 को नैनीताल हाईकोर्ट ने आरक्षण नियमावली के गजट नोटिफिकेशन और प्रक्रिया में स्पष्टता की कमी के आधार पर चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। यह रोक बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल और अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं के बाद लगाई गई थी, जिन्होंने 9 जून 2025 को जारी नई नियमावली और आरक्षण प्रक्रिया की वैधता पर सवाल उठाए थे।
धामी सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस रोक को हटाने की मांग की थी। सरकार ने तर्क दिया कि 14 जून 2025 को गजट नोटिफिकेशन जारी हो चुका है और आरक्षण प्रक्रिया पूरी तरह से वैध है। शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने सरकार के पक्ष को स्वीकार करते हुए 23 जून के स्थगन आदेश को हटा दिया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उसकी मंशा चुनाव को टालना नहीं है, बल्कि नियमों का पालन सुनिश्चित करना है।
सरकार को तीन हफ्तों में देना होगा जवाब
हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव की प्रक्रिया को बहाल करने की अनुमति तो दे दी, लेकिन साथ ही सरकार को याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए आरक्षण और अन्य संवैधानिक मुद्दों पर तीन हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने आरक्षण रोस्टर की समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया और सरकार से कहा कि वह इन मुद्दों पर स्पष्टता लाए। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और संवैधानिक रूप से सही हो।
चुनाव की नई तारीखें और प्रक्रिया
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब राज्य निर्वाचन आयोग जल्द ही पंचायत चुनाव के लिए संशोधित अधिसूचना जारी करेगा। हालांकि, पहले घोषित तारीखें (10 और 15 जुलाई) अब शायद आगे बढ़ें, क्योंकि नामांकन की प्रक्रिया 25 जून से शुरू होनी थी, जो रोक के कारण रुक गई थी। माना जा रहा है कि जुलाई के अंत या अगस्त की शुरुआत में चुनाव आयोजित हो सकते हैं। हरिद्वार को छोड़कर, उत्तराखंड के 12 जिलों में यह त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होंगे।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
इस फैसले पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इसे धामी सरकार की जीत के रूप में देखा है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि पार्टी कोर्ट के फैसले का सम्मान करती है और सरकार संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए जल्द चुनाव कराएगी। वहीं, विपक्षी कांग्रेस ने इस फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि सरकार को आरक्षण प्रक्रिया में पारदर्शिता लानी होगी, और कोर्ट ने उनकी आशंकाओं को सही ठहराया है।
पंचायत चुनाव का महत्व
उत्तराखंड में पंचायतों के प्रशासकों का कार्यकाल 27 मई को समाप्त हो चुका था, जिसके बाद कई पंचायतें लावारिस स्थिति में थीं। धामी सरकार ने इन चुनावों को समयबद्ध तरीके से कराने की पूरी तैयारी की थी, और अब हाईकोर्ट के फैसले ने इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का रास्ता साफ कर दिया है। यह चुनाव स्थानीय शासन को मजबूत करने और ग्रामीण विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
निष्कर्ष
नैनीताल हाईकोर्ट का यह फैसला उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। धामी सरकार को अब न केवल चुनाव प्रक्रिया को तेजी से पूरा करना होगा, बल्कि कोर्ट के निर्देशानुसार संवैधानिक और आरक्षण संबंधी मुद्दों पर स्पष्ट जवाब भी देना होगा। यह फैसला ग्रामीण लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
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