नैनीताल की शान और पहचान नैनीझील को गाद (सिल्ट) और अन्य कचरे से बचाने के लिए नगर निगम एक महत्वपूर्ण योजना पर काम कर रहा है। इसके तहत, झील में गिरने वाले सभी प्रमुख नालों पर विशेष प्रकार की जालियां (फिल्टर) लगाई जाएंगी। इस कदम का उद्देश्य बारिश के मौसम में नालों के साथ बहकर आने वाली मिट्टी, पत्थर, पॉलीथिन और अन्य प्रकार की गंदगी को झील में प्रवेश करने से रोकना है।
लंबे समय से नैनीझील में गाद जमा होने की समस्या बनी हुई है, जिससे झील की गहराई धीरे-धीरे कम हो रही है और इसकी प्राकृतिक सुंदरता पर भी असर पड़ रहा है। विभिन्न पर्यावरणविदों और स्थानीय लोगों ने इस समस्या पर चिंता व्यक्त की है और झील को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है।
नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार, इस योजना के पहले चरण में उन नालों की पहचान की जा रही है जिनसे सबसे अधिक मात्रा में गाद और कचरा झील में आता है। इसके बाद, इन नालों के मुहाने पर मजबूत और टिकाऊ जालियां लगाई जाएंगी। ये जालियां इस प्रकार से डिजाइन की जाएंगी कि वे पानी के प्रवाह को न रोकें, लेकिन ठोस कचरे और गाद को प्रभावी ढंग से छान सकें।
अधिकारियों ने यह भी बताया कि समय-समय पर इन जालियों की सफाई भी सुनिश्चित की जाएगी ताकि वे जाम न हों और अपना कार्य सुचारू रूप से करती रहें। इसके लिए नगर निगम एक विशेष टीम का गठन करेगा जो नियमित रूप से जालियों की निगरानी और सफाई करेगी।
इस पहल से न केवल नैनीझील में गाद जमा होने की प्रक्रिया को धीमा किया जा सकेगा, बल्कि झील के पानी की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा। झील में कचरा कम होने से जलीय जीवन भी स्वस्थ रहेगा और झील की नैसर्गिक सुंदरता बनी रहेगी।
स्थानीय निवासियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने नगर निगम के इस कदम का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि यह योजना नैनीझील को बचाने में कारगर साबित होगी। उनका यह भी कहना है कि इसके साथ-साथ लोगों को भी झील में कचरा न डालने के प्रति जागरूक होना होगा, तभी इस प्रयास को पूरी सफलता मिल पाएगी।
यह योजना नैनीताल की इस खूबसूरत झील को दीर्घकाल तक संरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।