पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने रविवार शाम को ‘काफल पार्टी’ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने पलायन और स्थानीय उत्पादों की अनदेखी पर चिंता जताई। उन्होंने ‘वोकल फॉर लोकल’ का संदेश दिया। इस दौरान उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता पर सेना के पराक्रम को सराहा और उनका सम्मान भी किया।
रावत ने बताया कि उन्होंने स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए इस काफल पार्टी का आयोजन किया। उन्होंने घोषणा की कि अगले साल से ‘तिमला’ और ‘बेडू’ पार्टी भी शुरू करेंगे।
रावत ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि देहरादून की सड़कों पर काफल 600 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि 2014 में उनकी सरकार के समय मंडुवे की बात करने पर उनका मजाक उड़ाया गया था, लेकिन आज वही लोग मंडुवे को ‘मिलेट’ कह रहे हैं।
विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि मोटे अनाज के गीत गाए जा रहे हैं, लेकिन मंडुवा और झंगोरा नेपाल से खरीदा जा रहा है। नदी-घाटियों में अंधाधुंध बड़े भवन और होटल निर्माण चिंता का विषय है।
उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के लिए भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम को सलाम करते हुए 22 पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया। उन्होंने पहाड़ों से हो रहे निरंतर पलायन की पीड़ा को व्यक्त किया और स्थानीय उत्पादों की अनदेखी पर कटाक्ष किया।
पलायन पर उन्होंने कहा कि निर्जन गांवों की चर्चा करके वह किसी का मूड खराब नहीं करना चाहते, लेकिन अगर अगले पांच-दस साल में पहाड़ी गांवों में जंगली जानवर घूमते रहे, तो उत्तराखंडी संस्कृति सिर्फ किताबों में मिलेगी।
कार्यक्रम में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पहाड़ी नमक के साथ काफल का आनंद लिया। इसके अलावा नींबू और गन्ने के रस से बने ‘चूक’ और पुदीने की चटनी के साथ पकौड़ों का स्वाद लिया। हरीश रावत ने काफल पार्टी में आए लोगों की खूब आवभगत की और एक मेजबान की भूमिका निभाई। उन्होंने पार्टी के सभी बड़े नेताओं को मंच तक ले जाकर सम्मानित किया।
बता दें कि काफल उत्तराखंड के जंगलों में पाया जाने वाला एक रसीला फल है। पार्टी में काफल के फल अल्मोड़ा के सल्ट क्षेत्र से मंगाए गए थे।
काफल पार्टी में विधायक प्रीतम सिंह, पूर्व विधायक शूरवीर सिंह सजवाण, मनोज रावत और हीरा सिंह बिष्ट, ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी सहित कई कांग्रेस नेता उपस्थित थे।