Connect with us

व्रत त्यौहार

Chhath Puja Surya Arghya: उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पर्व का समापन… देखिए यूपी, बिहार, झारखंड, दिल्ली के फोटो-वीडियो

Published

on


छठ पर्व पूरे देश में मनाया गया, लेकिन उत्तर भारत के राज्यों में इस दौरान उल्लास का वातावरण रहा। विभिन्न राज्यों में सरकार और प्रशासन की ओर से विशेष व्यवस्था की गई थी, ताकि लोग बिना परेशानी के त्योहार मना सके। छठ पर्व में सूर्य की आराधना होती है और छठी मैया की पूजा की जाती है।

By Arvind Dubey

Publish Date: Fri, 08 Nov 2024 07:52:17 AM (IST)

Updated Date: Fri, 08 Nov 2024 10:31:01 AM (IST)

Chhath Puja Surya Arghya: उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पर्व का समापन… देखिए यूपी, बिहार, झारखंड, दिल्ली के फोटो-वीडियो
नोएडा में छठ पूजा के बाद व्रती महिलाओं को इस तरह सिंदुर लगाया गया।

HighLights

  1. आज छठ पूजा का चौथा और आखिरी दिन
  2. चौथे दिन उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया गया
  3. इसे उषा अर्घ्य के नाम से भी जाना जाता है

धर्म डेस्क, इंदौर (Chhath Puja Photo)। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ पर्व का शुक्रवार सुबह समापन हो गया। इस दौरान बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नई दिल्ली में सुबह से उल्लाह का माहौल रहा।

बड़ी संख्या में व्रती महिलाएं जलाशयों पर पहुंचीं। इस दौरान परिजन भी मौजूद रहे। सभी ने उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

— ANI (@ANI) November 8, 2024

एक दिन पहले दिया था डूबते सूर्य को अर्घ्य

इससे पहले गुरुवार शाम को डूबते सूरज को महिलाओं ने अर्घ्य देकर पूजा-अर्चना की। मंगलवार को कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी से छठ व्रत अनुष्ठान शुरू हुआ था। इस दौरान वृती स्नान करके वृती महिला-पुरुषों ने सात्विक भोजन किया।

naidunia_image

महिलाओं ने बुधवार को पंचमी तिथि को पूरे दिन उपवास रखकर संध्या को एक समय प्रसाद ग्रहण किया। यह पर्व खरना या लोहण्डा के नाम से भी जाना जाता है। गुरुवार को कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन सूर्यास्त के समय अर्घ्य अर्पित किया।

शुक्रवार को सप्तमी तिथि को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत की समाप्ति हो गई। भोजपुरी समाज के मीडिया प्रभारी राकेश झा ने बताया कि शुक्रवार को कार्तिक शुक्ल की सप्तमी की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया गया।

naidunia_image

छठ पर्व” हर एक दिन का महत्व

  • पहला दिन: नहाय-खाय छठ पूजा का पहला दिन ‘नहाय-खाय’ होता है, जिसमें व्रत रखने वाली महिलाएं पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करती हैं, सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं, घर की सफाई करती हैं। इस दिन खाने में केवल कद्दू की सब्जी (लौकी), चने की दाल और चावल का विशेष महत्व होता है।
  • दूसरा दिन: खरना के दिन व्रतधारी पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं और सूर्यास्त के बाद प्रसाद बनाकर उपवास तोड़ते हैं। प्रसाद के रूप में गुड़ से बनी खीर, रोटी और फल का सेवन किया जाता है। इसके बाद ही अगले 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत शुरू होता है।
  • तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य छठ के तीसरे दिन व्रतधारी शाम के समय में किसी नदी या जल के स्रोत में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस प्रक्रिया में पूरा परिवार और आसपास के लोग भी शामिल होते हैं। वे सभी सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
  • चौथा दिन: सुबह को सूर्य को अर्घ्य छठ पूजा के अंतिम दिन में उगते सूर्य पहली किरण को अर्घ्य दिया जाता है। इस प्रक्रिया में भी पूरा परिवार शामिल होता है। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतधारी अपना व्रत तोड़ते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं।





Source link

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

व्रत त्यौहार

Makar Sankranti 2025: सूर्य के उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को, सुबह 7 बजकर 59 मिनट पर मकर राशि में होगा प्रवेश

Published

on


ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार, सूर्य की मकर संक्रांति को शुभ माना जाता है। इस दिन से सूर्य उत्तरायण की ओर गमन करने लगते हैं। यह समय सकारात्मकता, धर्म, कर्म तथा मांगलिक कार्यों के लिए विशेष शुभ माना जाता है।

By Arvind Dubey

Publish Date: Tue, 17 Dec 2024 12:56:30 PM (IST)

Updated Date: Tue, 17 Dec 2024 01:02:37 PM (IST)

Makar Sankranti 2025: सूर्य के उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को, सुबह 7 बजकर 59 मिनट पर मकर राशि में होगा प्रवेश
मकर संक्रांति से मांगलिक कार्य आरंभ होंगे।

HighLights

  1. सूर्य के राशि परिवर्तन को सूर्य की संक्रांति कहा जाता है।
  2. पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
  3. सूर्य के मकर में प्रवेश करते ही खरमास का समापन होगा।

नईदुनिया, उज्जैन। सूर्य के उत्तरायण का पर्व मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन सुबह 7 बजकर 59 मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, जब सूर्य का प्रवेश दिन में हो या सुबह सूर्योदय के तीन मुहूर्त के आसपास हो, तो मकर संक्रांति का अनुक्रम बनता है।

धर्मशास्त्र की इसी मान्यता के अनुसार, 14 तारीख को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। मोक्षदायिनी शिप्रा में पर्व स्नान होगा। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया, सूर्य के राशि परिवर्तन को सूर्य की संक्रांति कहा जाता है। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है।

naidunia_image

सूर्य की मकर संक्रांति शुभ

  • सूर्य सिद्धांत की मान्यता के अनुसार, 14 जनवरी मंगलवार को पुनर्वसु नक्षत्र, विषकुंभ योग एवं बालव करण तथा कर्क राशि के चंद्रमा की साक्षी में सूर्य देवता का धनु राशि को छोड़कर के मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
  • मकर राशि में प्रवेश होते ही सूर्य की मकर संक्रांति कहलाएगी। यह समय सुबह 7.59 पर होगा। सूर्य के मकर में प्रवेश करते ही खरमास का समापन होगा तथा उत्तरायण का पक्ष आरंभ हो जाएगा।
  • मांगलिक कार्य आरंभ होंगे। मकर संक्रांति का पर्व काल होने से यह स्नान, दान, तर्पण, पितरों के निमित्त श्रद्धा व्यक्त करने का दिवस है। इस दिन अन्नदान, वस्त्रदान करने का विशेष महत्व है।
  • तांबा, चांदी अथवा सोने के कलश में काले तिल भरकर के दान करने का महत्व भी बताया गया है। इस दिन जल में काले तिल डालकर स्नान करने से गरीबी दूर होती है तथा रोग, दोष समाप्त होते हैं।

व्यापार में उतार चढ़ाव, भारत लाए जा सकते हैं वन्यप्राणी

शास्त्रीय गणना व सूर्य सिद्धांत में संक्रांति के शुभ अशुभ फल में वाहन का विशेष महत्व होता है। इस बार संक्रांति का वाहन व्याघ्र तथा उप वाहन अश्व रहेगा। व्याघ्र पर सवार होकर आ रही संक्रांति वन्य प्राणियों के लिए विशेष प्रभावी रहेगी। इससे बाघ व कूनों में चीतों की संख्या में वृद्धि होगी। अन्य देशों से नए वन्यप्राणी भारत लाए जा सकते हैं। प्राणियों के जीवन पर कुछ संकट की स्थिति भी बन सकती है।



Source link

Continue Reading

व्रत त्यौहार

Vivah Muhurat 2025: कल से शुरू हो रहा खरमास, एक महीने तक नहीं होंगे विवाह…. नए साल में जून तक 40 दिन शुभ मुहूर्त

Published

on



हिंदू धर्म में मलमास या खरमास को बहुत मान्यता है। इस अवधि में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस दौरान ईश्वर की भक्ति की जाती है। सूर्य की स्थिति में बदलाव के कारण यह स्थिति बनती है। अभी 15 दिसंबर से मलमास की शुरुआत होगी, जो 14 जनवरी तक रहेगा।



Source link

Continue Reading

व्रत त्यौहार

Dattatreya Jayanti 2024: मार्गशीर्ष मास की चतुर्दशी आज… अमृत सिद्धि योग में मनाया जा रहा भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव

Published

on


देशभर में आज भगवान् दत्तात्रेय की पूजा की जा रही है। मान्यता है कि इस दिन भगवान का नाम जाप करने से कई तरह की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यह दिन इसलिए भी विशेष है क्योंकि आज अमृत सिद्धि योग और बुधादित्य योग बन रहे हैं।

By Arvind Dubey

Publish Date: Sat, 14 Dec 2024 08:25:53 AM (IST)

Updated Date: Sat, 14 Dec 2024 10:23:18 AM (IST)

Dattatreya Jayanti 2024: मार्गशीर्ष मास की चतुर्दशी आज… अमृत सिद्धि योग में मनाया जा रहा भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव
शनिवार के दिन रोहिणी नक्षत्र में दत्त जयंती का ज्योतिष में विशेष महत्व बताया गया है। (फाइल फोटो)

HighLights

  1. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी आज
  2. मनाया जा रहा भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव
  3. बुधादित्य योग में पूजा का मिलता है विशिष्ट फल

नईदुनिया, उज्जैन। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर 14 दिसंबर को अमृत सिद्धि योग में भगवान दत्तात्रेय का प्राकट्योत्सव मनाया जा रहा है। देशभर के प्रमुख मंदिरों में सुबह भगवान दत्तात्रेय का अभिषेक, पूजन व श्रृंगार के उपरांत शाम को गोधूलि बेला में महाआरती होगी।

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के दत्त मंदिरों में दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा की स्तुति गुंजायमान होगी। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया, पंचांग की गणना के अनुसार शनिवार के दिन रोहिणी नक्षत्र की साक्षी में आ रही दत्त जयंती विशिष्ट मानी जा रही है।

naidunia_image

इस दिन अमृत सिद्धि योग

  • भारतीय ज्योतिष शास्त्र में अमृत सिद्धि योग को अति महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। व्यावहारिक जीवन में यदि कोई समस्या आ रही है तो उस समस्या का निराकरण करने के लिए अमृत सिद्धि योग का संयोग विशिष्ट साधना उपासना की दृष्टि से श्रेष्ठ माना जाता है।
  • इस दौरान रोग दोष की निवृत्ति के लिए भगवान् दत्तात्रेय के विशिष्ट पाठ और मंत्रों का उच्चारण करने से या जाप करने से व्याधियों का निराकरण होता है। बंधन, बाधा समाप्त होती है। विशिष्ट योग के अंतर्गत गुरु मार्ग के माध्यम से दत्त भगवान की साधना करनी चाहिए।

बुधादित्य योग का भी संयोग

पंचांग की गणना के अनुसार, दत्त जयंती पर अमृत सिद्धि योग तो है ही, मूल रूप से सूर्य बुध का वृश्चिक राशि में होकर के बुध आदित्य योग का निर्माण करना भी अपने आप में विशेष है।

महाकाल के समीप प्राचीन दत्त मंदिर

दत्तात्रेय जयंती पर महाकाल मंदिर के हाथी द्वार के समीप स्थित प्राचीन दत्त मंदिर में भगवान का प्राकट्योत्सव मनाया जाएगा। पुजारी संजय दिवटे ने बताया इस स्थान पर ओदुंबर (गुलर) के वृक्ष के नीचे वासुदेव सरस्वतीजी टेमरे स्वामीजी महाराज ने विश्राम किया था।

आज भी इस मंदिर में ओदुंबर का वह वृक्ष तथा स्वामीजी की चरण पादुका मौजूद है। दिवटे ने बताया टेमरे स्वामीजी महाराज भगवान दत्तात्रेय के अवतार माने जाते हैं। दत्त जयंती पर सुबह भगवान का अभिषेक पूजन होगा। शाम को गोधूलि बेला में महाआरती की गई।

यहां भी क्लिक करें – पौष मास की शुरुआत 16 दिसंबर से… ग्रहों के राजा सूर्य की आराधना से हर रुका काम पूरा होगा



Source link

Continue Reading