नैनीताल: उत्तराखंड के नैनीताल जिले के सातताल क्षेत्र में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) से आए एक पर्यटक को अपने बच्चों के साथ संरक्षित पक्षियों का अवैध शिकार करते हुए पकड़ा गया। वन विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और उसके पास से एयरगन जब्त की। इस मामले में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। यह घटना नैनीताल के संरक्षित वन्यजीव क्षेत्र में पर्यटकों द्वारा नियमों के उल्लंघन का एक गंभीर मामला है।
घटना का विवरण
18 जून 2025 को सातताल एस्टेट के गरुणताल क्षेत्र में कुछ पर्यटक मंगलवार को घूमने के लिए पहुंचे थे। इस दौरान प्रयागराज के निवासी अमित सैमुअल पुत्र मौरिस गिड़िया सैमुअल ने अपनी एयरगन से संरक्षित प्रजाति के पक्षी, स्पॉटेड डव (चित्तीदार चिड़िया) और घुघुती का शिकार किया। स्थानीय लोगों ने एयरगन की आवाज सुनकर संदेह जताया और पर्यटकों को घेर लिया। उन्होंने इस घटना का वीडियो बनाकर वन विभाग को सूचित किया। सूचना मिलते ही वन क्षेत्राधिकारी भवाली की टीम मौके पर पहुंची और अमित सैमुअल को गिरफ्तार कर लिया।
वन विभाग के अनुसार, सातताल क्षेत्र एक प्रसिद्ध बर्ड वाचिंग स्थल है, जहां कई संरक्षित प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं। स्पॉटेड डव और घुघुती पक्षी वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित हैं, और इनका शिकार करना एक गंभीर अपराध है। वन क्षेत्राधिकारी विजय मेलकानी ने बताया कि आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है, और जब्त की गई एयरगन को सबूत के तौर पर रखा गया है।
स्थानीय लोगों की भूमिका
स्थानीय लोगों ने इस घटना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने न केवल पर्यटकों की गतिविधियों पर नजर रखी, बल्कि वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से वन विभाग को त्वरित कार्रवाई के लिए सबूत भी उपलब्ध कराए। स्थानीय निवासियों ने पर्यटकों को मौके पर ही लताड़ा और उनके इस गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार की निंदा की। यह घटना पर्यटकों के बीच जागरूकता की कमी और वन्यजीव संरक्षण नियमों के प्रति लापरवाही को दर्शाती है।
कानूनी कार्रवाई
वन विभाग ने अमित सैमुअल के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। इस अधिनियम के तहत संरक्षित प्रजातियों का शिकार, उनकी तस्करी, या उनके साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार गंभीर अपराध माना जाता है, जिसमें सात साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। वन विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि सातताल जैसे संरक्षित क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की शिकार गतिविधि पूरी तरह से प्रतिबंधित है, और ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पर्यटकों के लिए चेतावनी
यह घटना पर्यटकों के लिए एक चेतावनी के रूप में सामने आई है। नैनीताल और इसके आसपास के क्षेत्र, जैसे सातताल, नैनीझील, और भीमताल, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध हैं। इन क्षेत्रों में कई संरक्षित प्रजातियाँ निवास करती हैं, और पर्यटकों से अपेक्षा की जाती है कि वे वन्यजीव संरक्षण नियमों का पालन करें। वन विभाग ने पर्यटकों से अपील की है कि वे संरक्षित क्षेत्रों में हथियार, जैसे एयरगन, न लाएँ और वन्यजीवों के साथ किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ न करें।
पर्यावरण संरक्षण पर प्रभाव
सातताल क्षेत्र पक्षी प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों के बीच बेहद लोकप्रिय है। इस तरह की घटनाएँ न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचाती हैं, बल्कि पर्यटन उद्योग पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। वन विभाग ने इस घटना के बाद सातताल क्षेत्र में निगरानी बढ़ा दी है और पर्यटकों के व्यवहार पर कड़ी नजर रखने का फैसला किया है। इसके अलावा, स्थानीय समुदायों और पर्यटकों के बीच वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए अभियान चलाने की योजना बनाई जा रही है।
निष्कर्ष
नैनीताल के सातताल में हुई इस घटना ने वन्यजीव संरक्षण के प्रति लापरवाही और पर्यटकों की गैर-जिम्मेदाराना गतिविधियों को उजागर किया है। वन विभाग की त्वरित कार्रवाई और स्थानीय लोगों की सजगता ने इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह घटना सभी पर्यटकों के लिए एक सबक है कि प्रकृति और वन्यजीवों का सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है। उत्तराखंड जैसे जैव विविधता से समृद्ध राज्य में, संरक्षित प्रजातियों की सुरक्षा के लिए कड़े नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है।
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