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ठंड में सिर दर्द को कैसे दूर करें – thand me sir dard ko kaise dur kre
बहुत से लोग ठंड के प्रति संवेदनशील होते हैं, और उनमें इसके साइड इफेक्ट के तौर पर सिर दर्द ट्रिगर हो जाता है। तो चिंता न करें, आज हम आपको बताएंगे ठंड के कारण होने वाले सिर दर्द से डील करने के कुछ प्रभावी उपाय (winter headache)।
ठंड के मौसम में लंबे समय तक ठंडी हवाओं के बीच रहने से या फेस पर सीधी ठंडी हवा पड़ने के कारण सर दर्द होना शुरू हो जाता है। बहुत से लोग ठंड के प्रति संवेदनशील होते हैं, और उनमें इसके साइड इफेक्ट के तौर पर सिर दर्द ट्रिगर हो जाता है। क्या आपके साथ भी ऐसा होता है? क्या आप इसकी वजह से लंबे समय तक परेशान रहती हैं?
तो चिंता न करें, आज हम आपको बताएंगे ठंड के कारण होने वाले सिर दर्द से डील करने के कुछ प्रभावी उपाय (winter headache)। इन टिप्स की मदद से आपको ठंड में ट्रिगर हुए सिर दर्द को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। तो चलिए जानते हैं, इस बारे में अधिक विस्तार से।
जानें ठंड के कारण सिर दर्द ट्रिगर को कम करने के उपाय (winter headache)
1. अप्लाई करें वार्म कंप्रेस
सिरदर्द और साइनस के दबाव को कम करने का एक बढ़िया तरीका है अपने माथे और नाक पर वार्म कंप्रेस अप्लाई करना। अगर आपके पास कंप्रेस नहीं है, तो एक वॉशक्लॉथ को गर्म पानी से गीला करके अपने चेहरे की सिकाई करें। वहीं आप चाहें तो कपड़े को आयरन या तबे पर गर्म करके अपने सिर की सिकाई कर सकती हैं। इससे नाक के जमाव से राहत मिलेगी और आपको सिर दर्द और सर्दी के लक्षणों से राहत मिलेगी।
2. साइनस को साफ करें
नमक के पानी से अपने साइनस को साफ करने से बलगम और अन्य जलन पैदा करने वाले तत्व (जैसे धूल और बैक्टीरिया) साफ हो जाते हैं और श्लेष्म झिल्ली की सूजन कम होती है, जिससे बेहतर जल निकासी होती है। यह नेटी पॉट, सिरिंज या दवा की दुकानों में मिलने वाले कई अन्य उत्पादों से किया जा सकता है।
गर्म पानी से नेज़ल रिंस करें, और प्रत्येक उपयोग के बाद डिवाइस को अच्छी तरह से धोकर सुखा लें। इस प्रकार आपको ठंड से होने वाले सिर दर्द ट्रिगर को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी (winter headache)।
3. नेज़ल स्प्रे आजमाएं
अगर नेज़ल वॉश आपके लिए नहीं है, तो नेज़ल सलाइन स्प्रे का उपयोग करके देखें। नेज़ल वॉश की तरह, यह आपके साइनस में नमी जोड़ने और जलन पैदा करने वाले तत्वों और संक्रामक एजेंटों को बाहर निकालने में मदद कर सकता है। यह आपको आसानी से बाजार में उपलब्ध मिल जाएगा, जो सिर दर्द ट्रिगर से फौरन राहत पाने में आपकी मदद करेगा।
4. पर्याप्त फ्लूइड लें
जब आपको सर्दी हो रहा होता है तो उस दौरान गर्म खाद्य पदार्थ और ड्रिंक का सेवन आपको बेहतर महसूस करने में मदद करता है। फ्लूइड इनटेक बढ़ाएं, जिससे आपके बलगम को पतला करने और नाक से पानी निकलने में मदद मिल सकती है। पानी, हर्बल ड्रिंक और गर्म दूध पीने की कोशिश करें। यह सभी सिर दर्द ट्रिगर को नियंत्रित करने में मदद करेंगे।
5. स्टीम लें
स्टीम यानी की भाप लेने से आपका वायुमार्ग नम रहता है, जो बलगम को पतला करता है और आपके लिए सांस लेना आसान हो जाता है। सिर दर्द हो रहा है तो गर्म पानी से नहा सकती हैं, कटोरे में पानी लेकर भाप ले सकती हैं। फिर भाप के पानी से अपने चेहरे पर गर्म सेंक लगाएं, यह आरामदेह हो सकता है और कंजेशन को कम करने में मदद कर सकता है।
6. गर्म टोपी पहनें
यदि आप ठंड के प्रति संवेदनशील हैं, तो कहीं भी ठंडी हवा में जाने से पहले अपने सिर को अच्छी तरह से ढक लें, विशेष रूप से कान और फोरहेड को ढकना जरूरी है। ऐसा करने से ठंडी हवाएं सीधे आपके सिर पर नहीं लगती हैं और सिर दर्द ट्रिगर होने का खतरा कम हो जाता है।
वहीं यदि दर्द हो रहा है, तो अन्य उपायों को शुरू करने से पहले अपने सिर को गर्म टोपी या अन्य मफलर से अच्छी तरह ढक लें, ताकि अतिरिक्त ठंड न लगे। जैसे-जैसे सिर गर्म होता है, वैसे-वैसे आपको दर्द से राहत मिलेगी।
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Soya Chaap : एक आहार विशेषज्ञ से जानते हैं वेजिटेरियन्स के लिए सोया चाप हेल्दी है या नहीं
सोया में पाए जाने वाले मिनरल्स की वजह से लोग सोया चाप (Soya Chaap) को भी हेल्दी बताते हैं। लेकिन इसके फायदे के साथ इसके कुछ नुकसान भी हैं।
सोयाबीन का नाम आपने जब भी सुना होगा, यह सुना होगा कि वे न्यूट्रीएंट्स (Nutrients) का भंडार हैं, उनमें मिनरल्स अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। प्रोटीन, विटामिन, जिंक, कैल्शियम और न जाने क्या क्या। यह सही भी है, सोया हमारे स्वस्थ रहने के लिए एक जरूरी खाद्य पदार्थ है। लेकिन इससे बनता है एक और प्रोडक्ट, जिसे सोया चाप कहते हैं। लोग अक्सर सोया में पाए जाने वाले मिनरल्स की बातें कर के इसे खाना हेल्दी बताते हैं। अपने इन्हीं गुणों की वजह से सोयाबिन हृदय संबंधित बीमारियों के लिए भी फायदेमंद बताया जाता है। लेकिन बात इतनी भर नहीं है, इसके फायदे के साथ इसके कुछ नुकसान (soya chaap ke fayde aur nuksan) भी हैं। खासकर सोया चाप के, तो चलिए शुरू करते हैं।
क्या है सोया चाप (What is Soya Chaap)
सोयाचाप एक शाकाहारी डिश है जो अमूमन सोया प्रोटीन से बनती है। मांस-मछली से दूर रहने वाले अर्थात शाकाहारियों के लिए यह एक अच्छा ऑप्शन है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स या फिर फाइबर-कैल्शियम सब अच्छी मात्रा में होते हैं। स्वाद के मामले में भी ये अव्वल है। इसलिए अगर आप वेज हैं, तो यह आपके लिए सुपरफूड हो सकता है।
सोया चाप खाने के फायदे (Benefits of Soya chaap)
1. प्रोटीन का स्रोत (Source for Protein)
सोयाबिन में प्रोटीन अच्छी मात्रा में होता है ये मेडिकली वेरीफाइड है। कई बार प्रोटीन की कमी से जूझते लोगों को डॉक्टर्स सोया से जुड़ी डिश खाने की सलाह भी देते हैं। दरअसल, प्रोटीन हमारे शरीर की मरम्मत का जिम्मा सम्हालता है। मांसपेशियों के विकास और चोटिल मांसपेशियों को ठीक करने की जिम्मेदारी प्रोटीन की ही होती है। ऐसे में मांसपेशियों से जुड़ी समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए सोया चाप एक अच्छा ऑप्शन है। शरीर को प्रोटीन मिलना Soya Chaap Ke Fayde में से एक है।
2. स्वस्थ हृदय के लिए (Soya for Healthy Heart)
यह हम सबको पता है कि जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है तो दिल की बीमारियों से जुड़े खतरे भी बढ़ जाते हैं। सोया चाप ऐसे वक्त में आपकी मदद कर सकता है। दरअसल सोया से जुड़े प्रोडक्ट्स शरीर में कोलेस्ट्रॉल कम करते हैं जिससे दिल की बीमारियों से जुड़े खतरे भी कम हो जाते हैं।
3. वजन कंट्रोल करने में मददगार (Soya for Weight Control)
फैट यानी वसा ऐसी चीज है जो शरीर के लिए जरूरी भी है लेकिन इसके बढ़ने से वजन बढ़ने का खतरा भी मंडराने लगता है। सोया से मिलने वाला प्रोटीन इसे कंट्रोल करने में आपकी मदद कर सकता है। सोया प्रोटीन शरीर से अतिरिक्त फैट को हटाता है, जिससे वजन बढ़ने का खतरा अपने आप कम होने लगता है। इसके साथ ही मांसपेशियों को मजबूत करने वाला सोया प्रोटीन का गुण भी वजन कंट्रोल में रखने के लिए सहायक है क्योंकि अगर आपकी मांसपेशियाँ मजबूत रहती हैं तो वजन बढ़ने का खतरा कम हो जाता है।
4. हड्डियां होंगी मजबूत (Soya for Healthy Bones)
हमारे शरीर की हड्डियों के लिए कैल्शियम कितना जरूरी है, यह बताने की भी बात नहीं। नॉर्मल हड्डी की चोट में भी डॉक्टर्स कैल्शियम की गोली खाने को दे ही देते हैं। सोया इस मामले में प्राकृतिक तौर पर अमीर है क्योंकि सोया प्रोडक्ट्स में कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में मिलता है, इसी की वजह से सोया से बने डिश खाने में हड्डियों को अतिरिक्त ऊर्जा और पोषण मिलते हैं।
कैसे खाएं सोया चाप? (How to eat Soya Chaap)
- सोया चाप को खाने से पहले ये सुझाव दिमाग़ में बिठा लें कि इसे बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं लेना है। अगर आप इसे खाने के तौर पर नहीं ले रहे हैं तो दिन भर में एक या दो बार सोयाचाप खाना पर्याप्त है, अगर आप इसे ज्यादा खाएंगे तो पेट की समस्याओं के शिकार होंगे।
- इसके अलावा यह भी कोशिश करनी है कि सोया चाप तला हुआ ना हो, गिल करके या बेक करके खाने में सोया चाप के मिनरल्स बचे रह जाते हैं और ये आपको फायदे के अलावा नुकसान नहीं पहुंचाते।
- अगर आप पहले से पेट की समस्याओं से जूझ रहे हैं तो इस बात का ख्याल रखें कि थोड़ा-थोड़ा सोया चाप खाने से शुरुआत करें और पानी ज्यादा पियें।
- एक अंतिम लेकिन जरूरी बात, कम प्रोसेस्ड सोया चाप ही खाने के इस्तेमाल में लाएं। कंपनियां इन दिनों सोया को ज्यादा प्रोसेस करके मार्केट में उतार रही हैं,जिसके नतीजतन उसमें शुगर,नमक ज्यादा रहता है। यह डायबिटिक या हाई ब्लडप्रेशर वाले लोगों के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
डाइटीशियन चिराग बड़जात्या के अनुसार,
सोया चाप सोयाबीन से बनाया जाता है जिसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। ये प्रोटीन का एक बेहतरीन स्रोत हो सकता है, लेकिन समस्या तब पैदा होती है जब सड़क पर बेचने वाले या रेस्टोरेंट्स वाले इसको नरम और फूला हुआ बनाने के लिए इसमें बहुत सारा मैदा मिला देते हैं। सोया चाप में मैदा आपके शरीर में अनावश्यक कैलोरी बढ़ा सकता है जिससे आपको नुकसान पहुंचेगा। कुछ लोग स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें बहुत सारी मेयोनेज़ भी मिलाते हैं, जिससे सोया चाप आपके दिल के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायी हो जाता है क्योंकि मेयोनेज़ में फैट की मात्रा बहुत अधिक होती है। चिराग के अनुसार, अगर आप बाहर सोया चाप खाना पसंद करते हैं तो मेरी सलाह है कि महीने में सिर्फ एक बार ही खाएं। लेकिन अगर आप इसे घर पर बना रहे हैं तो रोजाना इसका लुत्फ उठा सकते हैं।
सोया चाप के नुकसान (Harmful Effects of Soya Chaap)
- सोया में फाइबर की मात्रा ज़्यादा होती है। और जब आप चाप तल कर बनाते हैं तो यह फाइबर हानिकारक बन सकता है। फाइबर की ज़्यादा मात्रा आपके पेट में पाचन (Digestion) सम्बंधी समस्याएं पैदा कर सकता है।
- ये समस्या अक्सर महिलाओं में ज़्यादा होती है। दरअसल, सोया में फाइटोएस्ट्रोजन होता है जिसको ज्यादा मात्रा में खाने से महिलाओं में हार्मोनल इम्बैलेंस (Harmonal Imbalance) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसी कारण महिलाओं के पीरियड्स वक्त पर नहीं आते। कभी कभी वजन बढ़ जाने का ख़तरा भी होता है।
- कुछ भी नया खाने को ट्राई करने से पहले आपको किससे एलर्जी है, इस बारे में जानना ज़रूरी है। इसी तरह कुछ लोगों को सोया प्रोडक्ट्स से एलर्जी हो सकती है।
- कई बार बाज़ार में मिलने वाले सोया प्रोडक्ट्स ज्यादा प्रोसेस्ड होते हैं,जिसमें आर्टिफिशियल फ्लेवर ऐड होते हैं। यह शरीर के लिए नुकसानदायक है।
- सोया प्रोडक्ट्स को अगर आप ज्यादा मात्रा में खा रहे हैं तो आपको थायरॉइड की प्रॉब्लम्स हो सकती है,जिससे हाइपोथायरॉइड जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
कुल जमा बात यह है कि सोया चाप के नुकसान भी हैं और फायदे भी। लेकिन यह निर्भर आप पर करता है कि आप इसके फायदे लेना चाहते हैं या नुक़सान। यह सब ज़्यादातर निर्भर इस पर करता है कि आप इसे किस मात्रा में ले रहे हैं। खाने-पीने की चीजों में असंतुलन आपको स्वास्थ्य सम्बंधी गम्भीर समस्या दे सकता है। इसलिए सावधानी ज़रूरी है।
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knee replacement : घुटने के दर्द से आराम दिलाएगा घुटने का प्रत्यारोपण
हड्डियों और जोड़ों का दर्द इन दिनों कॉमन होता जा रहा है। महिलाओं में उम्र बढ़ने के साथ साथ यह स्थायी होता जाता है। कई बार तो यह उस लेवल पर पहुंच जाता है, जहाँ दवाइयों से भी यह दूर नहीं होता। यही वजह है कि डॉक्टर नी ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं। जानिए कितनी सुरक्षित है ये प्रक्रिया।
लोग अक्सर बढ़ती उम्र के साथ या किसी हड्डी की चोट के साथ मिले दर्द को यह मान कर सहते रहते हैं कि यह किस्मत है। पैर में दर्द ही तो हो रहा है,ज़िन्दगी तो नहीं खतरे में है? लेकिन सवाल यह है कि ज़िन्दगी तो बची है लेकिन यह किस तरह की जिंदगी है जहाँ आप भाग कर बस ना पकड़ सकें। ना ही किसी बच्चे के साथ थोड़ी देर खड़े हो कर खेल पाएं। ऐसे ही किसी सवाल से जूझते हुए किसी डॉक्टर या साइंटिस्ट ने पहली बार किसी मरीज़ के घुटने खोले होंगे और उसमें आर्टिफिशियल जॉइंट लगा दिए होंगे। वो थक गया होगा दवा देते देते और मरीज़ थक गया होगा दवा खाते खाते। आज के ज़माने में हम उसे हिंदी में घुटने का प्रत्यारोपण कहते हैं और अंग्रेज़ी में उसे knee replacement कहा जाता है? कैसे और कब किया जाता है घुटने का ये प्रत्यारोपण और क्या ये सेफ है? किन लोगों को इसके लिए आगे बढ़ना चाहिए और किन्हें इससे बचना चाहिए। आज सब विस्तार से समझेंगे।
क्या होता है घुटना प्रत्यारोपण? (What is knee replacement)
घुटने का प्रत्यारोपण (knee replacement) किसी सर्जरी की तरह ही होता है। इसमें घुटने की प्रभावित जगह को या जहाँ डैमेज है उस जगह को आर्टिफिशियल जॉइंट से जोड़ दिया जाता है। यह उन लोगों के लिए ही डॉक्टर रिकमेंड करते हैं जिनके ऊपर दवाईयां बेअसर हों या उनकी चोट इतनी गहरी हो कि बगैर ट्रांसप्लांट उनका इलाज नहीं हो सकता।
कब होता है नी रिप्लेसमेंट
1.दवाइयां हों बेअसर (If Medicines are not working)
अगर घुटने में इतना दर्द हो कि चलने-फिरने, बैठने-उठने, और सामान्य नॉर्मल एक्टिविटीज भी कठिन लगने लगें और ये दर्द दवाइयों और इलाज़ से ठीक ना हो रहा हो।
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ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis)
नी ट्रांसप्लांट का सबसे आम कारण है। दरअसल इसमें घुटने की हड्डियों के बीच मौजूद कार्टिलेज घिस जाता है और हड्डियां आपस में रगड़ने लगती हैं।
इसी वजह से बुढापे में अक्सर घुटनों में सूजन और दर्द होने लगता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस के ज्यादातर केसेस में डॉक्टर नी रिप्लेसमेंट (knee replacement) रिकमेंड करते हैं।
3.रूमेटॉइड आर्थराइटिस (RA)
ये एक ऐसी ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपने ही टिशूज और जॉइंट्स को नुकसान पहुंचाने लगता है। बार बार हार्मोनल चेंजेज से गुजरने के कारण यह बीमारी महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले ज्यादा होती है।
इसका ज़्यादातर प्रभाव जोड़ों पर ही पड़ता है। परिणामस्वरूप दर्द और सूजन हो जाते हैं। इस केस में भी डॉक्टर्स नी रिप्लेसमेंट (knee replacement) रिकमेंड करते हैं।
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चोट या फ्रैक्चर (Knee Fracture)
कई बार यह भी हो जाता है कि कोई फ्रैक्चर ऐसा हो जिससे हमारा घुटना उबर ना सके। या कोई चोट इतनी गम्भीर हो जो दवाइयों से नहीं ठीक हो रही हो और मरीज़ का दर्द बढ़ता ही जा रहा हो। ऐसी सूरत में भी नी रिप्लेसमेंट (knee replacement) किया जाता है।
क्या सेफ है नी ट्रांसप्लांट? (Is Knee Transplant Safe?)
ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर वत्सल खेतान के अनुसार यह प्रक्रिया पूरी तरह सेफ है। इसकी सफलता की दर लगभग 90-95 परसेंट है। फिर यह मरीज़ के शरीर पर भी निर्भर करता है। उन्होंने बताया कि इस रिप्लेसमेंट (knee replacement) में लगभग एक डेढ़ घण्टे लगते हैं। सर्जरी के कुछ दिन बाद मरीज़ पूरी तरह से अपने पैरों पर चल सकता है।
नी रिप्लेसमेंट के ख़तरे क्या? (Harmful Effects of knee replacement)
- ट्रांसप्लांट के बाद अक्सर इंफेक्शन होता है। डॉक्टर्स इसको रोकने के लिए दवाएं देते हैं लेकिन दवा खाने में थोड़ी भी लापरवाही बड़ी समस्या दे देती है।
2.सर्जरी के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग की समस्या से अक्सर डॉक्टर जूझते हैं। हालांकि यह समस्या कंट्रोल की जा सकती है लेकिन कई बार इसका परिणाम कमज़ोरी के तौर पर सामने आता है।
- नी रिप्लेसमेंट (knee replacement) एक सर्जिकल प्रॉसेस है जिसमे घुटने के आसपास की नसों को नुकसान होने का खतरा भी होता है।
- कुछ लोगों को आर्टिफिशियल जोड़ (Artificial Joint) के मटेरियल से एलर्जी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
- जैसा डॉक्टर वत्सल खेतान ने कहा कि इलाज़ हमेशा मरीज़ की परिस्थितियों पर डिपेंड करता है, उसी तरह कुछ मरीजों को सर्जरी के बाद भी दर्द की समस्या हो सकती है। ऐसा होने पर तुरन्त अपने डॉक्टर से मिलें।
- ट्रांसप्लांट (knee replacement) के बाद अक्सर पैरों में ब्लड क्लॉटिंग का खतरा होता है। डॉक्टर इसी लिए खून को पतला करने की दवाई देते हैं।
किन्हें नहीं कराना चाहिए घुटने का प्रत्यारोपण? (When and Who Should not to go with Knee Replacement?)
- जिनके घुटने में पहले से इंफेक्शन हो उन्हें इससे बचना चाहिए क्योंकि सर्जरी की वजह से इन्फेक्शन फैल सकता है।
- डायबिटीज और हार्ट पेशेंट्स को भी नी ट्रांसप्लांट (knee replacement) नही कराना चाहिए।
- जिनका वजन ज्यादा हो, उन्हें यह ट्रांसप्लांट नहीं कराना चाहिए क्योंकि वजन के कारण सारा भार घुटनों पर ही आता है।
- जिन लोगों की हड्डियां ज्यादा कमज़ोर होती हैं,डॉक्टर उन्हें भी घुटने के ट्रांसप्लांट के लिए मना करते हैं।
- जिन लोगों को डिमेंशिया, अल्जाइमर या किसी भी तरह का दिमागी रोग हो और वो पोस्ट सर्जरी अपनी देखभाल या सावधानियां डॉक्टर के अनुसार ना बरत सकें, उन्हें इस सर्जरी से बचना चाहिए।
क्या नी ट्रांसप्लांट घुटनों के दर्द से पूरी तरह निजात दिला सकता है?
इसमें कोई शक नहीं कि नी ट्रांसप्लांट (knee replacement) घुटने के तेज़ दर्द और काम करने में मुश्किलों से राहत देने में मदद कर सकता है, खासकर जब दर्द और सूजन दूसरे इलाजों से ठीक न हो रही हों। हालांकि भले ही घुटने का प्रत्यारोपण दर्द खत्म करता हो लेकिन कई बार ये पुरानी बीमारियाँ या जीन से मिलीं हड्डियों की दिक्कतें दूर नहीं कर पाता। इस सर्जरी की सफलता की रेट तो 90 प्रतिशत से ऊपर है लेकिन इससे आपका दर्द पूरी तरह जाएगा या नहीं ये आपकी स्थिति और आपके डॉक्टर पर निर्भर करता है।
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नाभि साफ करने का सही तरीका – nabhi saaf karne ka sahi tarika
यदि नाभि का ध्यान न रखा जाए, तो यह संक्रमण और खुजली का कारण बन सकता है। इसके अलावा समस्या बढ़ जाने पर गंभीर संक्रमण आपको परेशान कर सकते हैं।
बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्हें अपने नाभि की सफाई का ध्यान नहीं रहता। नाभि शरीर का ऐसा हिस्सा है, जिसे हम सभी को नियमित रूप से साफ करते रहना चाहिए। यहां पर आसानी से गंदगी और बैक्टीरिया जमा हो सकते हैं। यदि इसका ध्यान न रखा जाए, तो यह संक्रमण और खुजली का कारण बन सकता है। इसके अलावा समस्या बढ़ जाने पर गंभीर संक्रमण आपको परेशान कर सकते हैं। यदि आप अभी तक नाभि की नियमित सफाई के महत्व से वाकिफ नहीं हैं, तो आपको इसके बारे में मालूम होना चाहिए। ताकि आप इसकी नियमित सफाई कर सकें (Navel care)।
डॉ. विजय सिंघल, सीनियर कंसल्टेंट, डर्मेटोलॉजिस्ट, श्रीबालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली ने नाभि की सफाई के फायदे और इसके कुछ प्रभावी तरीके भी शेयर किए हैं। तो चलिए जानते हैं इस बारे में अधिक विस्तार से (Navel care)।
जानें नाभि की सफाई न करने से क्या हो सकता है
1. यीस्ट इन्फेक्शन
नाभि बैक्टीरिया के लिए प्रजनन स्थल होती है, क्योंकि नाभि एक अंधेरा, नम क्षेत्र होता है, जहां त्वचा चिपकी रहती है। नतीजतन, आपको अपने नाभि में यीस्ट संक्रमण हो सकता है।
2. असामान्य गंध
भले ही आपको यीस्ट संक्रमण न हो, लेकिन पसीने, गंदगी, डेड स्किन सेल्स और लिंट के जमा होने से आपके नाभि से बदबू आ सकती है।
संक्रमित नाभि के लक्षण क्या हैं
नाभि के संक्रमण या एलर्जी के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
नाभि के आस-पास लाल, खुजलीदार त्वचा
दुर्गंध
सूजन
नाभि से पीला, हरा या गहरे रंग का डिस्चार्ज
लगातार दर्द, खास तौर पर नाभि के छेद के आस-पास
नाभि के आस-पास छाले होना
जानें क्या है नाभि साफ करने का सही तरीका (Navel care)
नाभि की सफाई करने के लिए आप गुनगुने पानी और माइल्ड साबुन का इस्तेमाल कर सकती हैं। नाभि की सफाई के बाद इसे अच्छी तरह सूखा लें, क्योंकि नमी के कारण संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
इसके बाद नारियल तेल या जैतून के तेल से नाभि को हल्का मसाज दे सकती हैं। ये न केवल सफाई में मदद करता है, बल्कि नाभि को हाइड्रेटेड भी रखता है।
इसके अलावा, जिन लोगों को डायबिटीज या त्वचा से जुड़ी कोई समस्या है, उन्हें विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। नाभि में कभी भी केमिकल युक्त उत्पाद न लगाएं, जैसे परफ्यूम या हार्श केमिकल्स, क्योंकि ये त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
बाहर की ओर निकले हुए बेलीबटन को कैसे करना है साफ़
एक वॉशक्लॉथ पर झाग बनाएं और अपने बेलीबटन को धीरे से रगड़ें। फिर साबुन को साफ कर लें।
शॉवर के बाद, अपने बेलीबटन को अच्छी तरह से ड्राई करें।
फिर अपने बेलीबटन पर थोड़ा लोशन अप्लाई करें।
पियर्सिंग की हुई नाभि को साफ करने का तरीका
यदि आपने हाल ही में अपनी नाभि में पियर्सिंग करवाई है, तो संक्रमण से बचने के लिए उचित सफाई की आवश्यकता होती है, जिसमें पियर्सर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना बेहद महत्वपूर्ण है।
यदि आपकी नाभि की पियर्सिंग पूरी तरह से हिल हो गई है, फिर भी इसकी साफ सफाई के प्रति लापरवाही न बरते अन्यथा यह संक्रमित हो सकती है।
एक कॉटन बॉल को पानी में भिगोकर अपने नबी को अच्छी तरह से क्लीन करें। इसके बाद इन्हें ड्राई होने दें, फिर इसमें कोकोनट ऑयल लगाएं। इस प्रकार आपकी नाभि साफ रहती है, साथ ही कोकोनट ऑयल के एंटी बैक्टीरियल गुण इन्हें संक्रमित होने से बचते हैं।
नोट: नाभि में किसी भी तरह का संक्रमण या असामान्यता महसूस होने पर फौरन डॉक्टर से सलाह लें। नाभि की सफाई करना और ध्यान रखना हाइजीन का हिस्सा होने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी बेहद जरूरी है।
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