Connect with us

बिज़नेस

पराली की समस्या से निपटने के लिए Deloitte India ने अपनी पहल का विस्तार किया

Published

on


नयी दिल्ली । परामर्श कंपनी डेलॉयट इंडिया ने खेतों में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाने के मकसद से हरियाणा में अपनी प्रायोगिक परियोजनाओं की सफलता के बाद अब इस पहल का विस्तार करने की तैयारी में है। देश में बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए एक वजह पराली जलाने को भी माना जाता है। डेलॉयट ने कहा कि इस प्रयास के तहत अब पंजाब के पटियाला सहित अन्य स्थानों में भी स्थानीय प्रशासन के सहयोग से इन प्रायोगिक परियोजनाओं के दायरे का विस्तार किया जा रहा है।
डेलॉयट साउथ एशिया के भागीदार और ‘सस्टेनेबिलिटी’ एवं ‘क्लाइमेट’ मामलों के प्रमुख विरल ठक्कर ने पीटीआई-से कहा, ‘‘… पराली जलाने का वायु प्रदूषण पर प्रतिकूल असर हो रहा है और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) के लिहाज से भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। हालांकि, अगर सही समाधान और विशेषज्ञता का इस्तेमाल किया जाए तो इस समस्या का प्रभावी हल निकाला जा सकता है।’’ ठक्कर ने बताया कि डेलॉयट इंडिया ने वर्ष 2022 में इस प्रायोगिक परियोजना को हरियाणा सरकार के साझा प्रयास से राज्य के करनाल जिले के ‘रेड जोन’ में स्थित छह गांवों से शुरू किया था।
वर्ष 2023 में इसका विस्तार वहां के नौ जिलों में किया गया। उस वक्त पराली जलाने की घटनाओं में 54 प्रतिशत की कमी आई। इस वर्ष हरियाणा के पांच जिलों के 441 गांवों में इन परियोजनाओं का विस्तार किया गया है। इससे एएफएल में 55 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है।’’ ठक्कर ने कहा कि अब पंजाब के पटियाला के 17 गांवों में इस पहल को शुरू किया गया है और उम्मीद है कि जल्द ही वहां इस सफलता को दोहराते हुए ज्यादा से ज्यादा किसानों को इस पहल का भागीदार बनाया जायेगा। ठक्कर ने कहा कि पराली जलाने से रोकने के लिए कंपनी का प्रयास किसानों को पराली को एकत्रित और उनका प्रबंधन करने के लिए जरूरी कृषि मशीनरी को आसानी से उपलब्ध कराने का इंतजाम करने के अलावा उन्हें पराली जलाने के दुष्प्रभाव के बारे में जागरूक करना है।
इसके अलावा उन्हें पराली के समुचित व्यावसायिक उपयोग के अवसरों से अवगत कराना है। ठक्कर ने कहा, ‘‘इसके लिए किसानों के बीच जागरुकता अभियान चलाने के अलावा डेलॉयट ने एक मोबाइल ऐप विकसित किया है। इसके जरिये किसान पराली के प्रभावी नियंत्रण के लिए कृषि मशीनरी का सस्ते दामों पर उपयोग कर सकते हैं। इस ऐप के जरिये किसान एक दूसरे से कृषि सामग्रियों को साझा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि उपर्युक्त खेत पर पराली के समुचित प्रबंधन के अलावा किसान पराली की गांठों को तैयार कर उसका व्यावसायिक उपयोग के जरिये प्रति एकड़ लगभग 4,500-5,000 रुपये तक की कमाई कर सकते हैं।



Source link

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

बिज़नेस

Tata ने Starbucks के भारत से बाहर निकलने की खबरों पर की टिप्पणी, जानें क्या है सच्चाई

Published

on


टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट के स्टारबक्स को लेकर खबर है कि वो भारतीय बाजार से निकलने की तैयारी में है। हालांकि अब टाटा ने इसका खंडन कर दिया है। टाटा ने कहा हि भारत से स्टारबक्स को बाहर निकालने की खबरें निराधार है। टाटा ने इन सभी अटकलों का खंडन किया है।
 
टाटा का ये बयान मीडिया रिपोर्ट के बाद आया है जिसमें कहा गया कि कॉफी चेन “उच्च परिचालन लागत” और “कम लाभ” के कारण भारत में आउटलेट्स को बंद कर सकती है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया, बीएसई लिमिटेड और कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज को संबोधित एक पत्र में, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने गुरुवार को इन दावों को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया।
 
बता दें कि स्टारबक्स ने अक्टूबर 2012 में स्टारबक्स कॉफी कंपनी और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड के बीच एक संयुक्त उद्यम के माध्यम से भारत में प्रवेश किया। पत्र का शीर्षक था, “उच्च लागत, खराब स्वाद और बढ़ते घाटे के कारण स्टारबक्स भारत से बाहर निकल जाएगा – शीर्षक वाले समाचार लेख पर स्पष्टीकरण।”टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स द्वारा जारी बयान में कहा गया है: “प्रिय महोदय/महोदया, यह समाचार लेख के संदर्भ में है जिसका शीर्षक है – ‘उच्च लागत, खराब स्वाद और बढ़ते घाटे के कारण स्टारबक्स भारत से बाहर निकलेगा।’ कंपनी यह बताना चाहती है कि उक्त लेख में दी गई जानकारी निराधार है।”
 
पत्र में आगे कहा गया है: “हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप उपरोक्त को रिकॉर्ड पर लें और सेबी (सूचीबद्धता दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएँ), 2015 के विनियमन 30(11) के तहत अनुपालन पर ध्यान दें।” इससे पहले, 16 दिसंबर, 2024 को, रॉयटर्स ने बताया कि टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत में ग्राहकों की संख्या में गिरावट के कारण अल्पावधि में स्टारबक्स स्टोर खोलने की अपनी योजनाओं को “कैलिब्रेट” करेगी। टाटा कंज्यूमर के सीईओ सुनील डिसूजा ने रॉयटर्स को बताया, “हम अल्पावधि के लिए तैयारी करेंगे… निकट भविष्य में दबाव रहेगा।” उन्होंने कहा कि टाटा स्टारबक्स संयुक्त उद्यम 2028 के अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने पर केंद्रित है।



Source link

Continue Reading

बिज़नेस

GST Council ने जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर कर कटौती का फैसला टाला, मिली राहत

Published

on


जीएसटी परिषद की बैठक शनिवार को हुई है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक में निर्णय लिया गया कि कुछ और तकनीकी परेशानियों को दूर करने की जरुरत है। आने वाले समय में विचार-विमर्श के लिए जीओएम को जिम्मेदारी सौंपी गई है। जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हुए। इस बैठक में जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कर की दर में कटौती के फैसले को स्थगित कर दिया है। 
 
अधिकारियों ने बताया कि जीएसटी परिषद ने शनिवार को जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कर की दर में कटौती के फैसले को स्थगित हुआ है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि समूह, व्यक्तिगत, वरिष्ठ नागरिकों की पॉलिसियों पर कर के बारे में निर्णय लेने के लिए मंत्री समूह की एक और बैठक की जरुरत है। सम्राट चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, “कुछ सदस्यों ने कहा कि अधिक चर्चा की आवश्यकता है। हम (जीओएम) जनवरी में फिर मिलेंगे।”
 
चौधरी की अध्यक्षता में परिषद द्वारा गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) ने नवंबर में अपनी बैठक में टर्म जीवन बीमा पॉलिसियों के लिए भुगतान किए जाने वाले बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने पर सहमति व्यक्त की थी। इसके अलावा वरिष्ठ नागरिकों द्वारा स्वास्थ्य बीमा कवर के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम को भी कर से छूट देने का प्रस्ताव किया गया है।
 
इसके अलावा, वरिष्ठ नागरिकों के अलावा अन्य व्यक्तियों द्वारा 5 लाख रुपये तक के स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने का प्रस्ताव है। हालांकि, 5 लाख रुपये से अधिक के स्वास्थ्य बीमा कवर वाली पॉलिसियों के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू रहेगा।



Source link

Continue Reading

बिज़नेस

मुद्रास्फीति-वृद्धि का संतुलन बहाल करना हो प्राथमिकता: एमपीसी बैठक में Shaktikanta Das

Published

on


मुंबई । मौद्रिक नीति की प्राथमिकता मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि के बीच संतुलन को बहाल करने की होनी चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर शक्तिकान्त दास ने इस महीने की शुरुआत में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में यह बात कही थी। ब्याज दर निर्धारण करने वाली एमपीसी में दास के अलावा तीन अन्य सदस्यों ने भी रेपो दर को 6.25 प्रतिशत पर बरकरार रखने के पक्ष में मतदान किया था। दूसरी ओर शेष दो सदस्यों ने दर में कटौती का पक्ष लिया था।
आरबीआई ने दिसंबर की अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति में रेपो दर को अपरिवर्तित रखा था लेकिन नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती की थी। आरबीआई ने शुक्रवार को दिसंबर की शुरुआत में हुई एमपीसी बैठक का ब्योरा जारी किया। इस ब्योरे के मुताबिक, दास ने बैठक में कहा, इस महत्वपूर्ण मोड़ पर नीतिगत प्राथमिकता मुद्रास्फीति-वृद्धि के संतुलन को बहाल करने पर होनी चाहिए। अब बुनियादी जरूरत मुद्रास्फीति को कम करने की है। दास के नेतृत्व में एमपीसी की यह आखिरी बैठक थी।
आरबीआई गवर्नर के तौर पर दास का छह साल का विस्तारित कार्यकाल इस बैठक के कुछ दिन बाद ही पूरा हुआ था। उनकी जगह संजय मल्होत्रा ​​को आरबीआई गवर्नर नियुक्त किया गया है, जो फरवरी में अपनी पहली एमपीसी बैठक की अध्यक्षता करेंगे। एमपीसी बैठक के ब्योरे के मुताबिक, दास ने कहा कि मुद्रास्फीति और वृद्धि की की बारीकी से निगरानी करते हुए मुद्रास्फीति में गिरावट की व्यापक दिशा में अब तक हासिल लाभों को बचाकर रखने की जरूरत है।
दास के साथ ही सौगत भट्टाचार्य, राजीव रंजन (कार्यकारी निदेशक, आरबीआई) और माइकल देवव्रत पात्रा (डिप्टी गवर्नर, आरबीआई) ने भी ब्याज दर पर यथास्थिति के लिए मतदान किया था। हालांकि समिति के बाहरी सदस्य नागेश कुमार और राम सिंह रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती के पक्ष में थे। नागेश कुमार ने बैठक में कहा कि मौसमी कारणों से मुद्रास्फीति में सुधार हो सकता है, इसलिए अगर दर में कटौती की जाए, तो मुद्रास्फीति की स्थिति को खराब किए बिना आर्थिक वृद्धि को बहाल करने में मदद मिलेगी।



Source link

Continue Reading