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गोदरेज प्रॉपर्टीज क्यूआईपी के जरिये 6,000 करोड़ रुपये की संपूर्ण राशि जुटा लेगी

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गोदरेज प्रॉपर्टीज क्यूआईपी के जरिये संस्थागत निवेशकों को शेयर बेचकर 6,000 करोड़ रुपये की संपूर्ण राशि जुटा लेगी।
कंपनी का इरादा आवासीय भूखंडों तथा अपार्टमेंट की मजबूत मांग के बीच कारोबार का विस्तार करना है।

गोदरेज प्रॉपर्टीज ने 6,000 करोड़ रुपये जुटाने के लिए बुधवार को पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) पेश किया। यह बृहस्पतिवार को बंद होगा।
बाजार सूत्रों ने बताया कि गोदरेज प्रॉपर्टीज को घरेलू तथा वैश्विक निवेशकों से मजबूत प्रतिक्रिया मिली है और कंपनी 6,000 करोड़ रुपये की संपूर्ण राशि जुटा लेगी।

गोदरेज प्रॉपर्टीज ने बुधवार को शेयर बाजार को दी सूचना में बताया कि क्यूआईपी आवंटन समिति ने 27 नवंबर 2024 को इसके लिए मंजूरी दी। इसके लिए 2,727.44 रुपये प्रति शेयर की आधार कीमत तय की गई है।

गोदरेज प्रॉपर्टीज देश के अग्रणी रियल एस्टेट डेवलपर में शामिल है। इसकी दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), पुणे और बेंगलुरु में मजबूत उपस्थिति है और इसने हाल ही में हैदराबाद बाजार में प्रवेश किया है।



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Tata ने Starbucks के भारत से बाहर निकलने की खबरों पर की टिप्पणी, जानें क्या है सच्चाई

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टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट के स्टारबक्स को लेकर खबर है कि वो भारतीय बाजार से निकलने की तैयारी में है। हालांकि अब टाटा ने इसका खंडन कर दिया है। टाटा ने कहा हि भारत से स्टारबक्स को बाहर निकालने की खबरें निराधार है। टाटा ने इन सभी अटकलों का खंडन किया है।
 
टाटा का ये बयान मीडिया रिपोर्ट के बाद आया है जिसमें कहा गया कि कॉफी चेन “उच्च परिचालन लागत” और “कम लाभ” के कारण भारत में आउटलेट्स को बंद कर सकती है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया, बीएसई लिमिटेड और कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज को संबोधित एक पत्र में, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने गुरुवार को इन दावों को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया।
 
बता दें कि स्टारबक्स ने अक्टूबर 2012 में स्टारबक्स कॉफी कंपनी और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड के बीच एक संयुक्त उद्यम के माध्यम से भारत में प्रवेश किया। पत्र का शीर्षक था, “उच्च लागत, खराब स्वाद और बढ़ते घाटे के कारण स्टारबक्स भारत से बाहर निकल जाएगा – शीर्षक वाले समाचार लेख पर स्पष्टीकरण।”टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स द्वारा जारी बयान में कहा गया है: “प्रिय महोदय/महोदया, यह समाचार लेख के संदर्भ में है जिसका शीर्षक है – ‘उच्च लागत, खराब स्वाद और बढ़ते घाटे के कारण स्टारबक्स भारत से बाहर निकलेगा।’ कंपनी यह बताना चाहती है कि उक्त लेख में दी गई जानकारी निराधार है।”
 
पत्र में आगे कहा गया है: “हम आपसे अनुरोध करते हैं कि आप उपरोक्त को रिकॉर्ड पर लें और सेबी (सूचीबद्धता दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएँ), 2015 के विनियमन 30(11) के तहत अनुपालन पर ध्यान दें।” इससे पहले, 16 दिसंबर, 2024 को, रॉयटर्स ने बताया कि टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत में ग्राहकों की संख्या में गिरावट के कारण अल्पावधि में स्टारबक्स स्टोर खोलने की अपनी योजनाओं को “कैलिब्रेट” करेगी। टाटा कंज्यूमर के सीईओ सुनील डिसूजा ने रॉयटर्स को बताया, “हम अल्पावधि के लिए तैयारी करेंगे… निकट भविष्य में दबाव रहेगा।” उन्होंने कहा कि टाटा स्टारबक्स संयुक्त उद्यम 2028 के अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने पर केंद्रित है।



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GST Council ने जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर कर कटौती का फैसला टाला, मिली राहत

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जीएसटी परिषद की बैठक शनिवार को हुई है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक में निर्णय लिया गया कि कुछ और तकनीकी परेशानियों को दूर करने की जरुरत है। आने वाले समय में विचार-विमर्श के लिए जीओएम को जिम्मेदारी सौंपी गई है। जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हुए। इस बैठक में जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कर की दर में कटौती के फैसले को स्थगित कर दिया है। 
 
अधिकारियों ने बताया कि जीएसटी परिषद ने शनिवार को जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कर की दर में कटौती के फैसले को स्थगित हुआ है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि समूह, व्यक्तिगत, वरिष्ठ नागरिकों की पॉलिसियों पर कर के बारे में निर्णय लेने के लिए मंत्री समूह की एक और बैठक की जरुरत है। सम्राट चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, “कुछ सदस्यों ने कहा कि अधिक चर्चा की आवश्यकता है। हम (जीओएम) जनवरी में फिर मिलेंगे।”
 
चौधरी की अध्यक्षता में परिषद द्वारा गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) ने नवंबर में अपनी बैठक में टर्म जीवन बीमा पॉलिसियों के लिए भुगतान किए जाने वाले बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने पर सहमति व्यक्त की थी। इसके अलावा वरिष्ठ नागरिकों द्वारा स्वास्थ्य बीमा कवर के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम को भी कर से छूट देने का प्रस्ताव किया गया है।
 
इसके अलावा, वरिष्ठ नागरिकों के अलावा अन्य व्यक्तियों द्वारा 5 लाख रुपये तक के स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने का प्रस्ताव है। हालांकि, 5 लाख रुपये से अधिक के स्वास्थ्य बीमा कवर वाली पॉलिसियों के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू रहेगा।



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मुद्रास्फीति-वृद्धि का संतुलन बहाल करना हो प्राथमिकता: एमपीसी बैठक में Shaktikanta Das

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मुंबई । मौद्रिक नीति की प्राथमिकता मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि के बीच संतुलन को बहाल करने की होनी चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर शक्तिकान्त दास ने इस महीने की शुरुआत में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में यह बात कही थी। ब्याज दर निर्धारण करने वाली एमपीसी में दास के अलावा तीन अन्य सदस्यों ने भी रेपो दर को 6.25 प्रतिशत पर बरकरार रखने के पक्ष में मतदान किया था। दूसरी ओर शेष दो सदस्यों ने दर में कटौती का पक्ष लिया था।
आरबीआई ने दिसंबर की अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति में रेपो दर को अपरिवर्तित रखा था लेकिन नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती की थी। आरबीआई ने शुक्रवार को दिसंबर की शुरुआत में हुई एमपीसी बैठक का ब्योरा जारी किया। इस ब्योरे के मुताबिक, दास ने बैठक में कहा, इस महत्वपूर्ण मोड़ पर नीतिगत प्राथमिकता मुद्रास्फीति-वृद्धि के संतुलन को बहाल करने पर होनी चाहिए। अब बुनियादी जरूरत मुद्रास्फीति को कम करने की है। दास के नेतृत्व में एमपीसी की यह आखिरी बैठक थी।
आरबीआई गवर्नर के तौर पर दास का छह साल का विस्तारित कार्यकाल इस बैठक के कुछ दिन बाद ही पूरा हुआ था। उनकी जगह संजय मल्होत्रा ​​को आरबीआई गवर्नर नियुक्त किया गया है, जो फरवरी में अपनी पहली एमपीसी बैठक की अध्यक्षता करेंगे। एमपीसी बैठक के ब्योरे के मुताबिक, दास ने कहा कि मुद्रास्फीति और वृद्धि की की बारीकी से निगरानी करते हुए मुद्रास्फीति में गिरावट की व्यापक दिशा में अब तक हासिल लाभों को बचाकर रखने की जरूरत है।
दास के साथ ही सौगत भट्टाचार्य, राजीव रंजन (कार्यकारी निदेशक, आरबीआई) और माइकल देवव्रत पात्रा (डिप्टी गवर्नर, आरबीआई) ने भी ब्याज दर पर यथास्थिति के लिए मतदान किया था। हालांकि समिति के बाहरी सदस्य नागेश कुमार और राम सिंह रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती के पक्ष में थे। नागेश कुमार ने बैठक में कहा कि मौसमी कारणों से मुद्रास्फीति में सुधार हो सकता है, इसलिए अगर दर में कटौती की जाए, तो मुद्रास्फीति की स्थिति को खराब किए बिना आर्थिक वृद्धि को बहाल करने में मदद मिलेगी।



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