नैनीताल हाई‑कोर्ट ने बागेश्वर जिले की कांडा तहसील के कई गांवों में **खड़िया खनन की वजह से मकानों व जमीन में दरारें** आने के मामलों पर कड़ी चिंता जताई है। कोर्ट ने प्रश्न किया कि **“पर्यावरण संरक्षण और खनन के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? 🔍 सुनवाई मेंमुख्य बिंदु: * न्यायालय ने **राज्य पर्यावरण अथॉरिटी (SEIAA)** के चेयरमैन को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया है, और अगली सुनवाई 30 जून 2025 निर्धारित की है। * प्रशासन ने बताया था कि **खनन से बने गड्ढों को भरने** के लिए उत्तराखण्ड भू‑जल प्राधिकरण की नियुक्ति की गई है, जबकि याचिकाकर्ता का कहना है कि यह प्राधिकरण अभी तक गठित नहीं हुआ है। * दिल्ली हाई‑कोर्ट ने **जिला खान अधिकारी व सिंचाई विभाग के भू‑जल विशेषज्ञ** की निगरानी में गड्ढे भरने का आदेश दिया, जिसमें **केंद्रीय भू‑जल बोर्ड और भू‑तत्व सर्वेक्षण** की भी भागीदारी होनी चाहिए। * कोर्ट ने पहले तीन सदस्यीय कमेटी को **खनन सामग्री की नीलामी** की अनुमति दी थी, जिसमें जिला खनन अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया और प्रक्रिया को **छह सप्ताह में पूरा करने** का निर्देश दिया गया। * फिलहाल **अल्मोड़ा की मैग्नेसाइट खदानों को अनुमति दी गई है**, जबकि बागेश्वर में चाक खनन पर पूरी तरह **रोक जारी** है। #खड़ियाखनन #पर्यावरणरक्षा #हाईकोर्टसख्ती #खनननियंत्रण #NainitalHC #UttarakhandNews #EcoJustice #BageshwarMining #CrackInHouses
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